पंजाब और हिमाचल प्रदेश में हाल ही में आई भीषण बाढ़ और भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है। हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े हैं, जबकि किसानों की सैकड़ों हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। इस आपदा की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 सितंबर को दोनों राज्यों का दौरा करेंगे और बाढ़ प्रभावित इलाकों का हालात का जायजा लेंगे।
सेना और राहत एजेंसियां मोर्चे पर
भारतीय सेना, एनडीआरएफ, बीएसएफ, पंजाब पुलिस और जिला प्रशासन लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। राहत कार्यों में स्थानीय लोग, सामाजिक संगठन और कई मशहूर हस्तियां भी मदद कर रही हैं।
पंजाब में बाढ़ की स्थिति – 5 मुख्य बिंदु
-
पंजाब में दशकों बाद ऐसी भीषण बाढ़ आई है। सतलुज, ब्यास और रावी जैसी नदियां उफान पर हैं।
-
बाढ़ से अब तक 48 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि हजारों लोग प्रभावित हैं।
-
करीब 1.76 लाख हेक्टेयर जमीन पर खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं।
-
8 सितंबर से पंजाब में प्राइवेट स्कूल खुल जाएंगे, जबकि सरकारी स्कूलों में कक्षाएं 9 सितंबर से शुरू होंगी।
-
पोंग और भाखड़ा बांध के जलस्तर में मामूली कमी आई है, लेकिन स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है।
मुख्यमंत्री भी स्वास्थ्य संकट के बावजूद सक्रिय
सूत्रों के अनुसार, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान हाल ही में थकान और हार्ट रेट कम होने की समस्या के कारण अस्पताल में भर्ती रहे, लेकिन इसके बावजूद वे राहत और बचाव कार्यों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
बांधों का जलस्तर
-
पोंग बांध: जलस्तर घटकर 1,392.20 फीट पर आ गया है, जबकि ऊपरी सीमा 1,390 फीट है।
-
भाखड़ा बांध: रविवार को जलस्तर 1,677.98 फीट दर्ज किया गया।
-
नदियों और बांधों से नियंत्रित तरीके से पानी छोड़ा जा रहा है, ताकि आगे और तबाही से बचा जा सके।