जाहरवीर गोगा जी राजस्थान के एक प्रख्यात लोक देवता हैं। उन्हें “गोगा जी” और “जाहर पीर” के नाम से जाना जाता है। वे एक वीर योद्धा, संत, और हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक माने जाते हैं।
राजस्थान के लगभग हर गाँव में उनके पूजास्थल हैं। जाहरवीर गोगा जी के भक्त आपको उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और विदर्भ क्षेत्र जैसे भारत के अनेक हिस्सों में बड़ी श्रद्धा से मिल जाएंगे। केवल भारत ही नहीं, बल्कि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे देशों में भी गोगा जी की आस्था व्यापक रूप से फैली हुई है।
हर वर्ष श्रद्धालु बड़ी भक्ति के साथ “बागड़ यात्रा” करते हैं और देश-विदेश से गोगा जी के दर्शन के लिए आते हैं। वे अपने साथ “भक्ति के निशान” लाते हैं और गोगा जी के दरबार में मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हैं। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत का जीवंत उदाहरण भी है
हर साल भाद्रपद मास में उनकी स्मृति में भव्य यात्रा निकाली जाती है जिसमें हजारों भक्त भाग लेते हैं।
🔱 जाहरवीर चालीसा 🔱
॥ दोहा ॥
सुवन केहरी जेवर सुत, महाबली रनधीर।
बन्दौं सुत रानी बाछला, विपत निवारण वीर॥
जय जय जय चौहान वंस, गूगा वीर अनूप।
अनंगपाल को जीतकर, आप बने सुर भूप॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय जाहर रणधीरा, पर दुख भंजन बागड़ वीरा।
गुरु गोरख का हे वरदानी, जाहरवीर जोधा लासानी।
गौरवरण मुख महा विसाला, माथे मुकट धुंघराले बाला।
कांधे धनुष, गले तुलसी माला, कमर कृपान, रक्षा को डाला।
जन्में गूगावीर जग जाना, ईसवी सन हजार दरमियाना।
बल सागर गुण निधि कुमारा, दुखी जनों का बना सहारा।
बागड़ पति बाछला नन्दन, जेवर सुत हरि भक्त निकन्दन।
जेवर राव का पुत्र कहाये, माता-पिता के नाम बढ़ाये।
पूरन हई कामना सारी, जिसने विनती करी तुम्हारी।
सन्त उबारे असुर संहारे, भक्त जनों के काज संवारे।
गूगावीर की अजब कहानी, जिसको ब्याही श्रीयल रानी।
बाछल रानी जेवर राना, महादुखी थे बिन सन्ताना।
भंगिन ने जब बोली मारी, जीवन हो गया उनको भारी।
सखा बाग पड़ा नौलक्खा, देख-देख जग का मन दक्खा।
कुछ दिन पीछे साधू आये, चेला चेली संग में लाये।
जेवर राव ने कुआं बनवाया, उद्घाटन जब करना चाहा।
खारी नीर कुए से निकला, राजा रानी का मन पिघला।
रानी तब ज्योतिषी बुलवाया, कौन पाप मैं पुत्र न पाया।
कोई उपाय हमको बतलाओ, उन कहा गोरख गुरु मनाओ।
गरु गोरख जो खश हो जाई, सन्तान पाना मुश्किल नाई।
बाछल रानी गोरख गुन गावे, नेम धर्म को न बिसरावे।
करे तपस्या दिन और राती, एक वक्त खाय रूखी चपाती।
कार्तिक-माघ में करे स्नाना, व्रत एकादशी नहीं भुलाना।
पूर्णमासी व्रत नहीं छोड़े, दान-पुण्य से मुख नहीं मोड़े।
चेलों के संग गोरख आये, नौलखे में तंबू तनवाये।
मीठा नीर कुए का कीना, सूखा बाग हरा कर दीना।
मेवा फल सब साधु खाए, अपने गुरु के गुन को गाए।
औघड़ भिक्षा मांगने आये, बाछल रानी ने दुख सुनाये।
औघड़ जान लियो मन माहीं, तप बल से कुछ मुश्किल नाहीं।
रानी होवे मनसा पूरी, गुरु शरण है बहुत जरूरी।
बारह बरस जपा गुरु नामा, तब गोरख ने मन में जाना।
पुत्र देन की हामी भर ली, पूर्णमासी निश्चय कर ली।
काछल कपटिन गजब गुजारा, धोखा गुरु संग किया करारा।
बाछल बनकर पुत्र पाया, बहन का दरद जरा नहीं आया।
औघड़ गुरु को भेद बताया, तब बाछल ने गूगल पाया।
कर परसादी दिया गूगल दाना, अब तुम पुत्र जनो मरदाना।
लीली घोड़ी और पंडितानी, लूना दासी ने भी जानी।
रानी गूगल बाट के खाई, सब बांझों को मिली दवाई।
नरसिंह पंडित लीला घोड़ा, भज्जु कुतवाल जना रणधीरा।
रूप विकट धर सब ही डरावे, जाहरवीर के मन को भावे।
भादों कृष्ण जब नौमी आई, जेवरराव के बजी बधाई।
विवाह हुआ गूगा भये राना, संगलदीप में बने मेहमाना।
रानी श्रीयल संग परे फेरे, जाहर राज बागड़ का करे।
अरजन सरजन काछल जने, गूगा वीर से रहे वे तने।
दिल्ली गए लड़ने के काजा, अनंगपाल चढ़े महाराजा।
उसने घेरी बागड़ सारी, जाहरवीर न हिम्मत हारी।
अरजन सरजन जान से मारे, अनंगपाल ने शस्त्र डारे।
चरण पकड़कर पिण्ड छुड़ाया, सिंह भवन माड़ी बनवाया।
उसीमें गूगावीर समाये, गोरख टीला धूनी रमाये।
पुण्य वान सेवक वहाँ आये, तन-मन-धन से सेवा लाये।
मन्सा पूरी उनकी होई, गूगावीर को सुमरे जोई।
चालीस दिन पढ़े जाहर चालीसा, सारे कष्ट हरे जगदीसा।
दूध पूत उन्हें दे विधाता, कृपा करे गुरु गोरखनाथ।
🌼 आरती श्री जाहरवीर जी की 🌼
जय जय जाहरवीर हरे, जय जय गूगा वीर हरे
धरती पर आ करके, भक्तों के दख दर करे॥ जय जय॥
जो कोई भक्ति करे प्रेम से, हाँ जी करे प्रेम से
भागे दुख, परे विधन हरे, मंगल के दाता, तन का कष्ट हरे॥ जय जय॥
जेवर राव के पुत्र कहाये, रानी बाछल माता
बागड़ जन्म लिया वीर ने, जयकार करे॥ जय जय॥
धर्म की बेल बढ़ाई, निश दिन तपस्या रोज करे
दुष्ट जनों को दण्ड दिया, जग में रहे आप खरे॥ जय जय॥
सत्य अहिंसा का व्रत धारा, झूठ से आप डरे
वचन भंग को बुरा समझकर, घर से आप निकरे॥ जय जय॥
माड़ी में तुम करी तपस्या, अचरज सभी करे
चारों दिशा में भक्त आ रहे, आशा लिए उतरे॥ जय जय॥
भवन पधारो अटल क्षत्र कह, भक्तों की सेवा करे
प्रेम से सेवा करे जो कोई, धन के भण्डार भरे॥ जय जय॥
तन-मन-धन अर्पण करके, भक्ति प्राप्त करे
भादों कृष्ण नवमी के दिन, पूजन भक्ति करे॥ जय जय॥
🕉️ गोगा जी की पूजा के लाभ
📿 पारिवारिक कलेश दूर होता है
🩺 रोगों से मुक्ति मिलती है
🙏 मनोकामनाओं की पूर्ति होती है
👶 संतानहीन दंपत्तियों को संतान प्राप्त होती है
💰 घर में लक्ष्मी का वास होता है
🧿 नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नजर से रक्षा होती है
💪 बल, साहस और समाज में सम्मान बढ़ता है
🔆 40 दिन चालीसा पाठ के विशेष लाभ
🧘 मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति
🏠 घर में शांति और खुशहाली
🛡️ रोगमुक्त जीवन
🕊️ आत्मबल और विश्वास में वृद्धि
🌟 जीवन में नए अवसर और मार्गदर्शन
📖 चालीसा पाठ की सही विधि
🌅 सुबह जल्दी उठकर स्नान करें
👕 स्वच्छ वस्त्र पहनें
🧭 पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे
🖼️ गोगा जी की मूर्ति या तस्वीर सामने रखें
🎽 उन्हें वस्त्र, रोली और मिठाई अर्पित करें
🍛 गोगा जी के घोड़े को दाल का भोग लगाएं
🪔 दीपक और अगरबत्ती जलाएं
📜 पूरी श्रद्धा से चालीसा का पाठ करें
🙏 पाठ के बाद आशीर्वाद लें और अपनी मनोकामना बताएं
🚩 जाहरवीर यात्रा: हर साल भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष नवमी को गोगा जी की स्मृति में भव्य यात्रा निकाली जाती है। इसमें दूर-दूर से भक्त आते हैं और अपने जीवन की सफलताओं के लिए गोगा जी को धन्यवाद देते हैं।
अगर आपके जीवन में दुख, रोग, बाधा या मनोकामना पूर्ण न होने की स्थिति है तो जाहरवीर चालीसा का पाठ करें। यह साधना ना केवल आपके जीवन में आध्यात्मिक शक्ति लाती है, बल्कि आपके मन को भी शांत करती है।
श्रद्धा, भक्ति और नियम से किया गया पाठ आपके जीवन को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकता है।