राष्ट्र व्यू ब्यूरो, चंडीगढ़ — पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में मंगलवार को धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी को अपराध घोषित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया गया, लेकिन गहन बहस के बाद इसे पास नहीं किया गया। मुख्यमंत्री भगवंत मान के प्रस्ताव पर इस बिल को अब सिलेक्ट कमेटी को भेज दिया गया है, जो छह महीने तक इस विषय पर विशेषज्ञों और धार्मिक संगठनों से राय लेकर पुनः रिपोर्ट तैयार करेगी।
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किन बिंदुओं पर विपक्ष ने सवाल उठाए?
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बिल में क्या खामियां गिनाईं गईं?
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क्यों जरूरी है धार्मिक ग्रंथों का विशेष संरक्षण कानून?
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क्या यह विधेयक संसद में भी जा सकता है?
⚖️ विपक्षी नेताओं ने जताई चिंता, संशोधन की मांग
कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने इस बिल को अधूरी सोच पर आधारित बताते हुए कहा कि बेअदबी की जांच के लिए समय सीमा निर्धारित की जानी चाहिए — जिसमें जांच को 30 दिन के भीतर पूरा करना जरूरी हो, और समय बढ़ाने के लिए एसएसपी या डीजीपी स्तर की अनुमति आवश्यक हो।
बीजेपी विधायक अश्वनी शर्मा ने कहा कि केवल एक धर्म के ग्रंथ ही नहीं, सनातन धर्म के समस्त ग्रंथों को भी इस कानून के अंतर्गत लाया जाना चाहिए, जिससे धार्मिक समरसता और समानता बनी रहे।
📜 अकाली दल ने भी जताई सहमति, संसद में कानून लाने की मांग
शिरोमणि अकाली दल के विधायक मनप्रीत अयाली ने कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब के साथ-साथ अन्य धार्मिक ग्रंथों का भी सम्मान और संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि इस बिल को मजबूत बनाकर विधानसभा से पास किया जाए और आगे चलकर इसे संसद में भी पारित किया जाए, ताकि पूरे देश में एक समान कानून लागू हो सके।
📝 आगे की प्रक्रिया
इस विधेयक पर अब स्पीकर कुलतार सिंह संधवां के द्वारा गठित सिलेक्ट कमेटी काम करेगी और विभिन्न धार्मिक संस्थाओं, कानूनी विशेषज्ञों और नागरिक संगठनों से राय लेकर छह महीने में रिपोर्ट तैयार करेगी।
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