अमृतसर (पंजाब) – मजीठा क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से 27 लोगों की मौत के बाद पुलिस प्रशासन पूरे घटनाक्रम की जांच में जुटा है और दोषियों की धरपकड़ की जा रही है। इस कार्रवाई के बीच, मजीठा और उसके आसपास के इलाकों जैसे अटारी, अजनाला और झब्बाल के कई गांवों के सरपंच अचानक से गायब हो गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, इन सरपंचों में से कई पर शराब की बिक्री को बढ़ावा देने और अवैध शराब के कारोबार में खुद शामिल होने के आरोप हैं। हालांकि प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन लगभग दस ग्राम पंचायतों के प्रमुखों के भूमिगत होने की आशंका जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि पुलिस कार्रवाई की आशंका से ये लोग खुद को कुछ समय के लिए सार्वजनिक नजरों से दूर रख रहे हैं।
इंटरनेट बना शराब बनाने का शिक्षक
पुलिस द्वारा पकड़े गए 16 आरोपियों में से एक प्रमुख आरोपी साहिब सिंह ने पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा किया है। उसने बताया कि उसने मेथनॉल से शराब तैयार करने की तकनीक इंटरनेट से सीखी थी। इसके बाद उसने मेथनॉल मंगवाकर उससे जहरीली शराब बनाई और उसे आसपास के गांवों में बेचा। साहिब सिंह ने यह भी स्वीकार किया कि वह पिछले दस साल से अवैध शराब के कारोबार में सक्रिय था, और लिफाफों में शराब भरकर गांवों में सप्लाई करवाता था।
सालों से चल रही जहरीली शराब की काली दुनिया
यह मामला पहला नहीं है। पंजाब में जहरीली शराब से लोगों की मौत की घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं। वर्ष 2020 में अमृतसर, बटाला और तरनतारन जिलों में एक ही कांड में 120 लोगों की जान चली गई थी। मार्च 2022 में संगरूर जिले में नकली शराब पीने से 20 लोगों की जान गई थी। इन मामलों की जांच के लिए कई बार समितियां बनाई गईं, लेकिन समय के साथ सारे केस सरकारी फाइलों में दफ्न होते चले गए।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सारा अवैध धंधा पुलिस और प्रभावशाली नेताओं की मिलीभगत से वर्षों से फल-फूल रहा है। कुछ पुलिसकर्मी खुद भी इस गोरखधंधे का हिस्सा हैं या आंखें मूंदे बैठे रहते हैं।
आगे की कार्रवाई
फिलहाल पुलिस सभी पहलुओं की गहराई से जांच कर रही है। यदि सरपंचों या किसी प्रशासनिक व्यक्ति की संलिप्तता पाई जाती है, तो उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की बात कही गई है। मृतकों के परिजनों में आक्रोश है और वे दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिए जाने की मांग कर रहे हैं।