चंडीगढ़/पटियाला।
पंजाब में आई भीषण बाढ़ को दस दिन बीत चुके हैं, लेकिन हालात अभी भी सामान्य नहीं हो पाए हैं। कई परिवार अपने घरों से बेघर होकर मवेशियों के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग (हाईवे) पर रहने को मजबूर हैं। फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं और घर अब भी पानी में डूबे हुए हैं।
राहत शिविर दूर, मवेशियों के लिए व्यवस्था नहीं
प्रभावित परिवारों का कहना है कि नजदीकी राहत शिविर लगभग 10 किलोमीटर दूर है, लेकिन वहां मवेशियों की व्यवस्था न होने की वजह से वे सड़क पर ही डेरा डालने को मजबूर हैं। कम से कम दस परिवार अपने बच्चों और मवेशियों के साथ खुले आसमान के नीचे जिंदगी गुजार रहे हैं।
वजीर सिंह की आपबीती
52 वर्षीय वजीर सिंह अपनी पत्नी सुमिता देवी, बेटी लक्ष्मी और बेटे के साथ सड़क पर रह रहे हैं। आजतक से बातचीत में उन्होंने कहा –
"जब हमारे गांव में पानी करीब पांच फीट तक भर गया था, तब हमें मजबूरन मवेशियों के साथ हाईवे पर आना पड़ा। अब हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है।"
उन्होंने आगे बताया कि फिलहाल उनका परिवार लंगर और सेवा करने वाले सामाजिक संगठनों पर निर्भर है। "सरकारी अधिकारी यहां से गुजरते तो हैं, लेकिन कोई रुककर हमारी मदद नहीं करता।"
लाखों का कर्ज और फसल बर्बादी
वजीर सिंह ने बताया कि उन पर छह लाख रुपये का कर्ज है और उनकी चार एकड़ की फसल जिसकी कीमत लगभग तीन लाख रुपये थी, पूरी तरह बर्बाद हो गई। वे अब केवल सरकारी मुआवजे की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
सरकारी मदद का इंतजार
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की ओर से अभी तक उन्हें कोई ठोस सहायता नहीं मिली है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार उनकी स्थिति को देखते हुए जल्द राहत और मुआवजा मुहैया कराएगी।