बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश।
विमल नेगी केस में सरकार की भूमिका पर सवाल उठते जा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी और नयनादेवी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रणधीर शर्मा ने सत्ताधारी सुक्खू सरकार पर आरोप लगाया है कि वह इस संवेदनशील मामले में शामिल दोषियों को बचाने का प्रयास कर रही है।
क्या है मामला?
रणधीर शर्मा ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि मुख्यमंत्री ने 26 मई को यह स्पष्ट किया था कि सरकार इस मामले में सीबीआई जांच के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील नहीं करेगी। इसके बावजूद, 30 मई को शिमला के पूर्व एसपी की ओर से हाईकोर्ट में एक एलपीए (Letters Patent Appeal) दायर की गई, जिससे सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
विपक्ष के सवाल:
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क्या सरकार सीबीआई जांच से बचना चाहती है?
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क्या यह आरोपियों को बचाने की रणनीति का हिस्सा है?
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क्या उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों की भूमिका की निष्पक्ष जांच होगी?
रणधीर शर्मा ने कहा कि अगर सरकार में थोड़ी भी नैतिकता है, तो मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर सीबीआई जांच को पूरा समर्थन देना चाहिए।
भ्रष्टाचार और जवाबदेही का सवाल
विधायक ने इस बात पर भी चिंता जताई कि इस मामले में केवल एक चीफ इंजीनियर स्तर के अधिकारी पर कार्रवाई की गई है, जबकि शीर्ष अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठे हैं। उन्होंने मुख्य सचिव और डीजीपी कार्यालय पर भी लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की।
निष्कर्ष:
विमल नेगी केस अब सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक जवाबदेही का प्रतीक बन चुका है। जनता को सच्चाई जानने का हक है और यदि सरकार पारदर्शिता में विश्वास रखती है, तो उसे निष्पक्ष जांच में पूरा सहयोग करना चाहिए।
Disclaimer: यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध समाचार और प्रेस बयानों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सूचनात्मक है। हम किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति के पक्ष या विपक्ष में नहीं हैं।