भोजपुर, बिहार – बिहार के शिक्षा विभाग में एक और फर्जी शिक्षक का मामला सामने आया है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने जांच के बाद कार्रवाई करते हुए एक ऐसे शिक्षक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है, जो पिछले 11 वर्षों से फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर नौकरी कर रहा था।
📍 कहां का है मामला?
यह मामला भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय बलुआ से जुड़ा है। आरोपी शिक्षक का नाम अनिल कुमार है, जो आरा के शिवगंज मोहल्ले के रहने वाले बताए गए हैं। उन्होंने वर्ष 2014 में शिक्षक पद पर नियुक्ति के समय जो शैक्षणिक प्रमाणपत्र जमा किए थे, वे उत्तर प्रदेश के वाराणसी से संबंधित थे।
🕵️ जांच में क्या हुआ खुलासा?
शिक्षा विभाग द्वारा दस्तावेजों की जांच के लिए फाइलें निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को सौंपी गई थीं। जांच में पता चला कि अनिल कुमार के मैट्रिक और इंटर के प्रमाणपत्र फर्जी हैं। ये प्रमाणपत्र वास्तव में श्रवण कुमार यादव और बीरबल राम नामक छात्रों के थे, जिन पर अनिल कुमार ने अपना नाम बदलकर उपयोग किया था।
⚖️ क्या हुई कार्रवाई?
इस फर्जीवाड़े का खुलासा होते ही पटना निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के इंस्पेक्टर अरुण पासवान ने भोजपुर जिले के कृष्णगढ़ थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई। इस मामले में कुछ अज्ञात सहयोगियों की भी भूमिका सामने आई है, जिनकी जांच जारी है।
🚨 और कितने हैं निशाने पर?
भोजपुर जिले में अब तक 400 से ज्यादा फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। इस साल भी अब तक 20 से अधिक शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। निगरानी टीम की जांच में 200 से ज्यादा शिक्षक अभी भी संदेह के घेरे में हैं।
📚 निष्कर्ष:
शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े के ऐसे मामलों से न केवल सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि योग्य अभ्यर्थियों के अधिकार भी प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे मामलों में सख्त और तेज कार्रवाई जरूरी है ताकि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता बनी रहे।