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अमृतसर में रावी नदी का कहर, वहीं फगवाड़ा नगर निगम की बैठक हंगामे में समाप्त

Sumansorey
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अमृतसर जिले के सीमा क्षेत्र में बसे कक्कड़ और रानियां गांव के किसानों की हालत बेहद दयनीय हो गई है। पाकिस्तान सीमा से सटे इन इलाकों में खेती करना पहले ही जोखिम भरा था, अब रावी नदी की बाढ़ ने लगभग 50 एकड़ उपजाऊ ज़मीन बहा दी है।

गांव के किसान सुखराजबीर पाल सिंह गिल का कहना है –

“रावी नदी ने अपना रास्ता बदल लिया और हमारे खेतों को बहा ले गई। हमने अपनी विरासत और रोज़ी-रोटी को अपनी आंखों के सामने खत्म होते देखा।”

कुलबीर सिंह गिल और अन्य किसानों ने सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया और कहा कि वे पहले से ही मुश्किलों से जूझ रहे थे, अब कटाव ने उनकी परेशानियां और बढ़ा दी हैं।


🏛️ फगवाड़ा: नगर निगम बैठक शुरू होते ही हंगामे में खत्म

पंजाब के फगवाड़ा नगर निगम (MC) की चौथी बैठक शुक्रवार को बुलाई गई थी, जिसमें शहर की मुख्य समस्याओं—खराब स्ट्रीट लाइटें, जाम नालियां, सीवरेज की दिक्कतें और टूटी सड़कों—पर चर्चा होनी थी।

बैठक दोपहर 3:15 बजे शुरू हुई लेकिन कुछ ही मिनटों में हंगामे की भेंट चढ़ गई। विपक्षी पार्षदों ने मेयर राम पाल उप्पल पर उनकी मांगों को नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगाया और नारेबाजी शुरू कर दी।

इस हंगामे के चलते बैठक बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई और नागरिक समस्याएं फिर अधर में लटक गईं।


🔎 निष्कर्ष

जहां एक ओर अमृतसर के किसान प्राकृतिक आपदा से त्रस्त हैं और अपनी ज़मीन खो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर फगवाड़ा के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। पंजाब के ये दोनों हालात यह दर्शाते हैं कि ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर लोगों की परेशानियां गंभीर हैं और तत्काल समाधान की आवश्यकता है।

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