बेंगलुरु, 24 सितंबर 2025: हरियाणा के विभिन्न तकनीकी संस्थानों के 28 छात्र आज दो दिवसीय शैक्षणिक यात्रा के बाद बेंगलुरु से लौटे। इन छात्रों को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं का दौरा करने का विशेष अवसर मिला। छात्रों ने इस अनुभव को “जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर” बताया।
छात्रों को मिला विशेष अवसर
आमतौर पर आगंतुकों को विक्रम साराभाई स्पेस एग्ज़िबिशन ही दिखाया जाता है, लेकिन इस बार छात्रों को सीधे प्रयोगशालाओं में जाने की अनुमति दी गई। ये छात्र कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स शाखाओं से चुने गए थे।
छात्रों के अनुभव
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दिक्षांत शर्मा (जे.सी. बोस यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, फरीदाबाद) ने बताया,
“हमने देखा कि इंजीनियरिंग की विभिन्न शाखाएँ मिलकर तकनीकी प्रगति को कैसे संभव बनाती हैं। वैज्ञानिकों ने हमें शोध पर ध्यान देने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि आजकल ज्यादातर इंजीनियर कॉर्पोरेट या आईटी नौकरियों में चले जाते हैं।” -
कनव (गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक, सिरसा) ने कहा,
“हमारी तीन सेनाएँ हैं, लेकिन ISRO एक चौथी शक्ति की तरह है, जो रक्षा, मौसम पूर्वानुमान और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रही है। हमने देखा कि कैसे बाल से भी पतले और सोने से बने माइक्रो-चिप्स सैटेलाइट्स में आदेश देने के लिए तैयार किए जाते हैं।” -
आदित्य (गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक, निलोखेड़ी) ने साझा किया कि उन्होंने प्रयोगशालाओं में देखा कि कैसे कृत्रिम वैक्यूम परिस्थितियाँ बनाकर उपग्रहों की जाँच की जाती है।
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नितिका (चौधरी देवी लाल इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, सिरसा) इस बात से बेहद प्रभावित हुईं कि कैसे 2D सैटेलाइट तस्वीरों को 3D में बदला जाता है।