हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही कुदरती तबाही को लेकर सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखा है। सरकार ने साफ कहा कि हाल की आपदाओं के पीछे हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट जिम्मेदार नहीं, बल्कि ग्लोबल क्लाइमेट चेंज, क्लाउडबर्स्ट और असामान्य बारिश मुख्य कारण हैं।
क्लाइमेट चेंज से खतरे में हिमालय
हलफनामे में हिमाचल सरकार ने कहा कि हिमालय दुनिया के सबसे नाजुक इकोसिस्टम में से एक है। ग्लोबल क्लाइमेट चेंज के कारण यहां का पर्यावरण और पहाड़ों की स्थिरता गंभीर खतरे का सामना कर रहे हैं। बाकी इलाकों की तुलना में यहां जलवायु परिवर्तन के असर बहुत तेजी से दिख रहे हैं।
सरकार का EMP प्लान
राज्य ने बताया कि 2013 में एन्वायरनमेंटल मास्टर प्लान (EMP) तैयार किया गया था। इसमें राज्य के प्राकृतिक और भौतिक संसाधनों का बेसलाइन डाटा दर्ज है।
इस प्लान में—
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पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान
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समस्याओं और उनके समाधान का खाका
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क्षतिपूरक वनीकरण (Compensatory Afforestation)
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ग्रीन बेल्ट नियम
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आवश्यक मैनपावर और रेगुलेशन
शामिल किए गए हैं, ताकि हर विभाग इसे अपने वार्षिक एक्शन प्लान में लागू कर सके।
टिकाऊ विकास पर जोर
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बेहतर कंस्ट्रक्शन प्रैक्टिस, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।