विदेश जाने का सपना हर किसी का होता है, लेकिन हर सपना हकीकत नहीं बन पाता। हरियाणा के हजारों युवाओं ने इसी सपने के पीछे अपनी जिंदगी की सारी पूंजी दांव पर लगा दी। बीते तीन वर्षों में करीब 1700 करोड़ रुपये राज्य के युवाओं ने ‘डंकी रूट’ के जरिए अवैध रूप से विदेश जाने की कोशिश में गवां दिए।
यह आंकड़ा न केवल आर्थिक नुकसान का है, बल्कि यह उन सपनों की कीमत भी है जो अधूरे रह गए। कई परिवार कर्ज में डूब गए, कई माता-पिता अपने बच्चों की सलामती की खबर के इंतजार में हैं।
🌍 ‘डंकी रूट’ बना बर्बादी का रास्ता
हरियाणा और पंजाब के कई युवा अमेरिका, कनाडा और यूरोप पहुंचने के लिए ‘डंकी रूट’ यानी गैरकानूनी रास्ते का सहारा लेते हैं। यह रूट उन्हें कई देशों के जंगलों, रेगिस्तानों और समुद्रों से होकर गुजरने पर मजबूर करता है।
इन खतरनाक यात्राओं के दौरान कई लोग मौत का शिकार हो जाते हैं या माफियाओं के जाल में फंस जाते हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन सालों में हरियाणा के करीब 600 युवाओं को अमेरिका ने डिपोर्ट किया है। इनमें से कई लोग ऐसे हैं जो वर्षों से अवैध रूप से वहां रह रहे थे।
⚖️ सरकार ने बनाई SIT, पर गिरोह अब भी सक्रिय
युवाओं को ठगने और विदेश भेजने वाले ‘डोंकर’ गिरोहों पर शिकंजा कसने के लिए हरियाणा सरकार ने तीन साल पहले विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया था। इसके बावजूद यह नेटवर्क लगातार फैलता जा रहा है।
हाल ही में रविवार को ही 54 लोगों को अमेरिका से डिपोर्ट किया गया है। SIT अब इनसे पूछताछ कर गिरोहों के तार तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
फिर भी, स्थिति यह है कि अब तक किसी ने औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं करवाई है। डर और शर्म के कारण कई परिवार चुप्पी साध लेते हैं।
💔 सपनों की जगह टूटी उम्मीदें
कई युवाओं ने घर बेचकर या जमीन गिरवी रखकर डोंकर एजेंटों को लाखों रुपये दिए। उन्हें यह यकीन दिलाया गया कि वे जल्द ही अमेरिका पहुंचकर डॉलर कमाएंगे।
लेकिन नतीजा उल्टा हुआ — न विदेश में काम मिला, न पैसा वापस। जो लौटे हैं, वे अब समाज में मुंह दिखाने से भी कतराते हैं।
🚨 ज़रूरत जागरूकता और सख्त कार्रवाई की
विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या का समाधान सिर्फ कानून से नहीं, बल्कि जागरूकता से होगा। युवाओं को यह समझाने की जरूरत है कि विदेश जाने के शॉर्टकट खतरनाक और धोखेबाज़ी से भरे होते हैं।
सरकार को भी इन एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि किसी और परिवार को बर्बादी का सामना न करना पड़े।
