भारत की हवाई सेना (Indian Air Force - IAF) इस साल अपना 93वां हवाई सेना दिवस मना रही है। यह कई लोगों के लिए सवाल का विषय हो सकता है क्योंकि भारत की आज़ादी को 78 साल हो चुके हैं।
असल में, भारतीय हवाई सेना की स्थापना आज़ादी से पहले, 8 अक्टूबर 1932 को हुई थी। इसलिए IAF अपनी स्थापना तिथि के अनुसार ही हर साल हवाई सेना दिवस मनाती है।
🔹 स्थापना और शुरुआती वर्षों का सफर
IAF को ब्रिटिश शासन के तहत सहायक सेना के रूप में बनाया गया था।
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इसकी पहली उड़ान 1 अप्रैल 1933 को चार Westland Wapiti IIA बाइप्लेन से हुई थी।
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इस उड़ान में 6 RAF-प्रशिक्षित अधिकारी और 19 हवाई सेना कर्मी शामिल थे।
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इसने नंबर 1 स्क्वाड्रन की नींव रखी।
1936 में, IAF ने A Flight के साथ अपना पहला ऑपरेशन किया, जो उत्तरी वज़ीरिस्तान में भारतीय सेना का समर्थन कर रहा था।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद IAF के कर्मियों को बहादुरी और समर्पण के लिए 22 Distinguished Flying Cross और कई अन्य पुरस्कार मिले।
मार्च 1945 में सेना के नाम में "Royal" शब्द जोड़ दिया गया, लेकिन भारत के गणतंत्र बनने के बाद 1950 में इसे हटा दिया गया और इसे भारतीय हवाई सेना के रूप में जाना गया।
🔹 आज़ादी के बाद पुनर्गठन
1947 में भारत-पाक विभाजन के दौरान IAF का बड़ा पुनर्गठन हुआ।
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कर्मियों की संख्या लगभग 14,000 रह गई।
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विभाजन में कई यूनिट्स पाकिस्तान को दे दी गईं।
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भारत के पास उस समय 6 लड़ाकू स्क्वाड्रन, एक B-24 बमबार स्क्वाड्रन और एक C-47 डकोटा ट्रांसपोर्ट स्क्वाड्रन थी।
🔹 93वें हवाई सेना दिवस की विशेषताएं
इस साल के जश्न में तीनों सेना प्रमुख शामिल होंगे।
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फ्लाइपास्ट Mi-17 हेलीकॉप्टर द्वारा किया जाएगा, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर झंडा शामिल होगा।
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लड़े हुए विमान जैसे राफेल, Su-30 MKI और आकाश मिसाइल प्रणाली का प्रदर्शन भी होगा।
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आधुनिक हथियारों और रणनीतिक क्षमताओं को प्रदर्शित किया जाएगा।