भारत के इतिहास में 31 अक्टूबर 1984 का दिन एक बेहद महत्वपूर्ण और दर्दनाक तारीख के रूप में दर्ज है। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके ही अंगरक्षकों भाई बेअंत सिंह और भाई सतवंत सिंह ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
इस घटना को कई लोगों ने जून 1984 में श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) पर हुए हमले का बदला बताया था।
दरअसल, उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत भारतीय सेना को अमृतसर के पवित्र श्री हरमंदिर साहिब में भेजने का आदेश दिया था। इस कार्रवाई के दौरान अकाल तख्त साहिब को भारी नुकसान हुआ और सैकड़ों श्रद्धालु मारे गए।
इस घटना ने पूरी सिख कौम को गहरे आघात में डाल दिया था।
इन्हीं जुल्मों का जवाब देने के लिए भाई बेअंत सिंह, भाई सतवंत सिंह और भाई कहर सिंह ने एक योजना बनाई।
योजना के तहत, 31 अक्टूबर 1984 की सुबह, जब इंदिरा गांधी अपने निवास स्थान से दफ्तर जा रही थीं, तभी उनके अंगरक्षक बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने उन पर गोलियां चला दीं।
गोलियों की बौछार से तत्काल इंदिरा गांधी गंभीर रूप से घायल हुईं और अस्पताल ले जाने के बाद उनकी मृत्यु हो गई।
हमले के तुरंत बाद भाई बेअंत सिंह को मौके पर ही सुरक्षाकर्मियों ने गोली मार दी, जबकि भाई सतवंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया।
लंबी न्यायिक प्रक्रिया और यातनाओं के बाद भाई सतवंत सिंह और भाई कहर सिंह को 6 जनवरी 1989 को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई।
श्री अकाल तख्त साहिब और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने कई बार इन तीनों को "सिख धर्म के शहीद" बताया है, जिन्होंने गुरुद्वारा श्री हरमंदिर साहिब की मान-मर्यादा की रक्षा के लिए अपना जीवन बलिदान किया।
