तरणतारन उपचुनाव: पंथक सीट पर गरमाया खालिस्तान बनाम हिंदुस्तान का मुद्दा!
पंजाब की तरणतारन विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ गया है। यह सीट ‘आप’ विधायक डॉ. कश्मीर सिंह सोहल के निधन के बाद खाली हुई थी। चुनाव आयोग ने 11 नवंबर को मतदान और 14 नवंबर को मतगणना की तारीख तय की है।
इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है क्योंकि चारों प्रमुख दलों—आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी—ने अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने अपने बयानों से सियासी हलचल मचा दी है। हाल ही में तरणतारन में प्रचार के दौरान उन्होंने कहा कि “लोगों को फैसला करना होगा कि वे खालिस्तान चाहते हैं या हिंदुस्तान। जो देश के साथ है, वही हमारे साथ चलेगा, बाकी जेल में रहेगा।”
राजा वड़िंग के इस बयान ने पंजाब की राजनीति में नया तूफान खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि पंजाब को दो रास्तों में से एक चुनना होगा—एक ओर विकास और शांति का रास्ता है, दूसरी ओर कट्टरवाद और गुटबाजी का।
तरणतारन सीट पर उम्मीदवारों की सूची:
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आम आदमी पार्टी (AAP): हरमीत सिंह संधू
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कांग्रेस: करणबीर सिंह बूरज
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अकाली दल: सुखविंदर कौर रंधावा
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भारतीय जनता पार्टी (BJP): हरजीत सिंह संधू
इसके अलावा अमृतपाल सिंह की पार्टी वॉरिस पंजाब दे (Waris Punjab De), जो अब अकाली दल (अमृतपाल) के नाम से सक्रिय है, ने भी अपना उम्मीदवार उतारा है। पार्टी ने सुधीर सूरी हत्या केस के आरोपी संदीप सिंह उर्फ सन्नी के भाई मंदीप सिंह को मैदान में उतारा है।
यह सीट लंबे समय से अकाली दल का गढ़ मानी जाती रही है। इस बार मुकाबला त्रिकोणीय नहीं बल्कि चौकोणीय हो गया है। सभी दल अपनी पूरी ताकत झोंक चुके हैं क्योंकि इस सीट पर जीत का असर पंजाब की राजनीति के भविष्य पर पड़ सकता है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह उपचुनाव केवल एक सीट का नहीं, बल्कि पंजाब के माहौल की दिशा तय करेगा — क्या राज्य विकास और एकता की राह चुनेगा या विभाजनकारी विचारधारा को?
