हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में लंबे समय से चर्चा में रहा संजौली मस्जिद विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। जिला अदालत ने नगर निगम शिमला की अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए मस्जिद को अवैध घोषित किया है और उसे तोड़ने का निर्देश जारी किया है।
⚖️ वक्फ बोर्ड अदालत में दस्तावेज पेश नहीं कर पाया
जिला अदालत में वक्फ बोर्ड और संजौली मस्जिद कमेटी ने नगर निगम के फैसले को चुनौती दी थी।
हालांकि, सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड मस्जिद की वैधता से संबंधित कोई ठोस दस्तावेज या स्वामित्व प्रमाण पत्र पेश नहीं कर सका।
इस पर अदालत ने स्पष्ट कहा कि जब कोई कानूनी दस्तावेज मौजूद नहीं है, तो यह ढांचा पूर्णतः अवैध माना जाएगा।
अदालत ने इस मामले में नगर निगम शिमला की अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए वक्फ बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया।
🏗️ संजौली मस्जिद को बताया गया अवैध निर्माण
इस मामले में स्थानीय निवासियों की ओर से अधिवक्ता जगत पाल ने बताया कि संजौली क्षेत्र में बना यह ढांचा शुरू से ही बिना किसी अनुमति के निर्मित किया गया था।
उन्होंने कहा कि जिला अदालत ने नगर निगम के आदेश को बरकरार रखते हुए यह साबित कर दिया है कि यह निर्माण पूरी तरह अवैध है।
जगत पाल ने आगे कहा कि अब नगर निगम प्रशासन को चाहिए कि वह शीघ्र कार्रवाई कर इस अवैध ढांचे को गिराए, ताकि क्षेत्र में शांति और सौहार्द बना रहे और स्थानीय लोगों की भावनाएं आहत न हों।
📑 पृष्ठभूमि क्या है?
संजौली क्षेत्र में बनी मस्जिद को लेकर पिछले कुछ वर्षों से विवाद चल रहा था।
स्थानीय नागरिकों ने इस निर्माण को अवैध बताते हुए नगर निगम में शिकायत दर्ज करवाई थी।
नगर निगम अदालत ने जांच के बाद मस्जिद को अवैध करार दिया और ढांचा हटाने का आदेश दिया था, जिसे वक्फ बोर्ड ने जिला अदालत में चुनौती दी थी।
अब जिला अदालत ने भी वक्फ बोर्ड की अपील को खारिज करते हुए नगर निगम के निर्णय को बरकरार रखा है।
🏛️ आगे क्या होगा?
अब नगर निगम शिमला को अदालत के आदेश के अनुसार आगे की कार्रवाई करनी होगी।
स्थानीय प्रशासन द्वारा जल्द ही इस अवैध निर्माण को गिराने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
