राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की तर्ज पर अब हरियाणा में पेड़ काटने से पहले वन विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है।
राज्य सरकार ने यह कदम पर्यावरण संरक्षण और हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया है।
अब यदि कोई व्यक्ति या संस्था बिना अनुमति के पेड़ काटता है, तो उस पर वन संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी और जुर्माना भी लगाया जाएगा।
🌳 पहले किन क्षेत्रों में लागू था नियम
पहले केवल उन्हीं इलाकों में पेड़ काटने के लिए अनुमति की आवश्यकता होती थी जहाँ पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम की धारा 4 लागू थी।
राज्य के अन्य हिस्सों में पेड़ों की मनमानी कटाई जारी थी, जिससे हरियाणा में हरियाली घटने लगी थी।
इसी समस्या को देखते हुए रोहतक निवासी सुखबीर सिंह ने इस मुद्दे को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में याचिका दायर की थी।
⚖️ NGT का बड़ा आदेश
एनजीटी ने 9 सितंबर को सुनवाई के बाद आदेश दिया कि—
“पूरे हरियाणा राज्य में पेड़ काटने से पहले वन विभाग से स्वीकृति लेना अनिवार्य होगा।”
इस आदेश के बाद वन विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए इसे कुछ जिलों में लागू कर दिया है।
📍 इन जिलों में नियम हुआ लागू
शुरुआत में यह नियम गुरुग्राम मंडल के अंतर्गत आने वाले जिलों में लागू किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
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गुरुग्राम
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फरीदाबाद
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पलवल
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नूंह
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रेवाड़ी
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महेंद्रगढ़
वन विभाग का कहना है कि जल्द ही पूरे हरियाणा में यह नियम लागू कर दिया जाएगा ताकि हरियाली को संरक्षित किया जा सके और अवैध कटाई पर रोक लगाई जा सके।
🌱 कदम क्यों जरूरी है?
विशेषज्ञों का कहना है कि हरियाणा में लगातार घटती हरियाली और बढ़ते प्रदूषण स्तर को देखते हुए यह कदम बेहद आवश्यक था।
राज्य में कई विकास परियोजनाओं और शहरीकरण के कारण बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए हैं, जिससे तापमान और प्रदूषण में बढ़ोतरी हुई है।
अब सरकार का लक्ष्य है कि—
“हरियाणा को ग्रीन स्टेट बनाया जाए और पर्यावरणीय संतुलन को पुनः स्थापित किया जाए।”