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🌲 बिलासपुर में वन माफिया बेखौफ: बरयांस और कुड्डी जंगल में खैर के 15 पेड़ फिर काटे, डेढ़ माह में तीसरी घटना

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Rashtra View — Bilaspur Desk

बिलासपुर जिले में वन माफिया की गतिविधियाँ लगातार बढ़ रही हैं। ताज़ा मामले में बरयांस और कुड्डी के जंगलों में खैर के 15 पेड़ अवैध रूप से काटे जाने का खुलासा हुआ है। यह घटना पिछले डेढ़ महीने में तीसरी बार सामने आई है, जिससे वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, बीते कुछ दिनों में यहां देर रात के समय कुल्हाड़ियों की आवाजें सुनी गईं, और सुबह जंगल से लकड़ी गायब मिली। विभागीय जांच में पुष्टि हुई कि इन दोनों क्षेत्रों से 5 पेड़ बरयांस जंगल और 10 पेड़ कुड्डी जंगल में अवैध रूप से काटे गए। इन पेड़ों की अनुमानित कीमत लगभग 3.12 लाख रुपये बताई जा रही है।


🔎 वन विभाग पर लापरवाही के आरोप

जिले में हाल ही में कई बार अवैध कटान की घटनाएँ सामने आई हैं, जिनमें—

  • समोह क्षेत्र में खैर के 50 पेड़ काटे गए

  • कोट थाना पुलिस द्वारा 33 मोछे खैर की लकड़ी पकड़ी गई

  • अब बरयांस और कुड्डी जंगलों में फिर अवैध कटान

कई मामलों में वन विभाग ने केवल डैमेज रिपोर्ट तैयार कर जुर्माना वसूल किया, लेकिन न तो पुलिस शिकायत दर्ज की गई और न ही लकड़ी खरीदने वाले गिरोह पर कार्रवाई की गई। इससे विभाग की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।


🚔 तीन लाख की लकड़ी जब्त, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं

हाल ही में कोट थाना पुलिस ने वन विभाग के साथ मिलकर चलैला बोट घाट लिंक रोड पर एक पिकअप से अवैध खैर की लकड़ी बरामद की थी।

  • 33 मोछे खैर की लकड़ी बरामद

  • अनुमानित कीमत: लगभग 3 लाख रुपये

  • लकड़ी मोटरबोट के माध्यम से घाट तक पहुँचाई जा रही थी

फिर भी, पुलिस और वन विभाग अब तक यह पता नहीं लगा पाए कि ये पेड़ किस जंगल से काटे गए थे।


🗣️ अधिकारियों का क्या कहना है?

संदीप धवल, पुलिस अधीक्षक बिलासपुर
“बरयांस और कुड्डी जंगल के मामले में FIR दर्ज हो चुकी है। पुलिस जांच कर रही है। अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।”

वन विभाग का कहना है कि—

  • समोह में निजी भूमि से पेड़ काटे गए थे

  • संबंधित किसानों से जुर्माना वसूला गया

  • चलैला वाले केस में जांच जारी है


📌 निचोड़

लगातार हो रही अवैध कटान की घटनाएँ बिलासपुर के जंगलों के लिए गंभीर खतरा हैं। स्थानीय लोग और पर्यावरण प्रेमी इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, ताकि वन माफिया पर अंकुश लगाया जा सके।


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