पंजाब और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर से टकराव देखने को मिल रहा है। इस बार विवाद का मुद्दा है पंजाब यूनिवर्सिटी से जुड़ा केंद्र सरकार का नया फैसला। पंजाब के वित्त मंत्री और कैबिनेट मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने केंद्र सरकार पर पंजाब विरोधी नीतियों का आरोप लगाते हुए बड़ा बयान दिया है।
चीमा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र सरकार द्वारा जारी नए नोटिफिकेशन की कॉपी दिखाते हुए कहा कि केंद्र ने 59 साल पुरानी सीनेट और सिंडिकेट प्रणाली को खत्म कर दिया है। यह फैसला पंजाब के अधिकारों और उसकी शिक्षा प्रणाली पर सीधा हमला है।
🎓 "पंजाब यूनिवर्सिटी पर कब्जा करने की कोशिश"
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी, जिसकी स्थापना वर्ष 1882 में लाहौर में हुई थी, पंजाब की सबसे पुरानी और गौरवशाली शैक्षणिक संस्था है। देश के विभाजन के बाद इसे चंडीगढ़ स्थानांतरित किया गया था।
लेकिन अब केंद्र सरकार ने ऐसा नोटिफिकेशन जारी किया है, जिससे इस यूनिवर्सिटी की स्वायत्तता (autonomy) पर खतरा मंडराने लगा है।
उन्होंने बताया कि पहले सीनेट में 90 सदस्य हुआ करते थे, लेकिन अब इन्हें घटाकर केवल 31 सदस्य कर दिया गया है — जिनमें से 18 चुने हुए, 6 नामित और 7 पदेन सदस्य होंगे। चीमा के अनुसार, इस संरचना में लगभग 13 सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार से जुड़े होंगे, जिससे पंजाब की भागीदारी कमजोर हो जाएगी।
⚖️ "राज्यों की भाषाओं और अधिकारों को खत्म करने की साजिश"
वित्त मंत्री चीमा ने कहा कि यह फैसला केवल प्रशासनिक बदलाव नहीं बल्कि एक राजनीतिक षड्यंत्र है। इसका उद्देश्य शिक्षा के केंद्रीकरण के माध्यम से राज्यों की भाषाओं और उनकी पहचान को कमजोर करना है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और केंद्र सरकार में हिटलर की आत्मा समा गई है, और उनके कदम तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं। सीनेट सदस्यों की संख्या और उनकी शक्तियों को घटाकर, केंद्र सरकार यूनिवर्सिटी की स्वतंत्रता छीनना चाहती है।
💬 "क्या भाजपा नेता देंगे इस्तीफा?"
चीमा ने भाजपा नेताओं — रवनीत सिंह बिट्टू, सुनील जाखड़ और अश्विनी शर्मा — पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये नेता पंजाब के हितों के लिए इस्तीफा देंगे या फिर अपनी कुर्सी बचाने के लिए भाजपा के आगे झुकेंगे।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार उन संस्थानों पर कब्जा करना चाहती है, जहाँ राज्य सरकारों को स्वायत्तता प्राप्त थी। पंजाब सरकार इस निर्णय के खिलाफ मजबूती से लड़ेगी और अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगी।
🔊 "पंजाबियों को दबाया नहीं जा सकता"
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि पंजाब सरकार केंद्र के इस आदेश का विरोध हर स्तर पर करेगी। उन्होंने साफ कहा कि "केंद्र सरकार पंजाबियों को इस तरह दबा नहीं सकती, क्योंकि पंजाब हमेशा अपने अधिकारों के लिए खड़ा रहा है और आगे भी रहेगा।"
