Rashtra View — Shimla Desk
हिमाचल प्रदेश में पंचायत और शहरी निकाय चुनावों को समय पर करवाने के उद्देश्य से राज्य निर्वाचन आयोग ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब प्रदेश के किसी भी गाँव या शहर में पुनर्गठन, सीमा परिवर्तन, क्लासिफिकेशन या संरचना में बदलाव पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त अनिल खाची द्वारा सोमवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, यह प्रतिबंध तब तक लागू रहेगा जब तक चुनाव कार्यक्रम की अधिसूचना जारी नहीं हो जाती। आयोग ने यह कदम संविधान में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए उठाया है।
🌐 क्यों लगाई गई रोक?
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि—
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नई पंचायतों के गठन के लिए केवल 75 दिन बचे हैं
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नई शहरी निकाय सीमाओं के लिए 60 दिन का समय शेष है
इसका मतलब है कि आयोग निर्धारित समय पर ही चुनाव करवाना चाहता है।
दूसरी ओर, राज्य सरकार ने डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत कुछ प्रक्रियाओं को स्थगित करने का निर्णय लिया था, और कैबिनेट ने नए पुनर्गठन को भी मंजूरी दी थी। लेकिन अब आयोग की अधिसूचना के बाद यह पुनर्गठन रुक गया है।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला
अधिसूचना में आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की उस महत्वपूर्ण जजमेंट का उल्लेख किया है, जिसमें पंजाब सरकार बनाम बेअंत कुमार केस में कहा गया:
पंचायती राज चुनाव की अवधि समाप्त होने के छह महीने पहले चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए।
🗳️ 3548 पंचायतों और 70 शहरी निकायों की वोटर लिस्ट तैयार
निर्वाचन आयोग के अनुसार—
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3548 ग्राम पंचायतों की मतदाता सूचियाँ तैयार
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70 शहरी निकायों की वोटर लिस्ट भी फाइनल
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बाकी 29 पंचायतों और एक शहरी निकाय की सूची 1 और 7 दिसंबर को जारी होगी
चुनाव कुल 3570 ग्राम पंचायतों, 90 पंचायत समितियों, 11 जिला परिषदों और 71 शहरी निकायों में होंगे।
🗓️ किस संस्था का कार्यकाल कब खत्म होगा?
| संस्था | कार्यकाल समाप्ति |
|---|---|
| पंचायत राज संस्थाएं | 31 जनवरी 2026 |
| 50 शहरी निकाय | 18 जनवरी 2026 |
| नगर निगम (धर्मशाला, पालमपुर, मंडी, सोलन) | 13 अप्रैल 2026 |
| पाँच नगर पंचायतें (अंब, चिड़गांव, कंडाघाट, नेरवा, निरमंड) | 16 अप्रैल 2026 |


