हिमाचल में स्वास्थ्य सेवाओं में बड़े बदलाव की तैयारी
हिमाचल प्रदेश सरकार अब प्रदेश के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ का युक्तिकरण (Rationalization) करने जा रही है। इस योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य के हर नागरिक को गुणवत्तापूर्ण और समान स्तर की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में सरकार लगातार स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की दिशा में काम कर रही है। पहले ही मेडिकल कॉलेज और निदेशक स्वास्थ्य सेवाओं में डॉक्टरों का अलग कैडर बनाया जा चुका है, साथ ही पीजी पॉलिसी और मेडिकल अफसरों के लिए संशोधित पोस्टग्रेजुएट पॉलिसी लागू की गई है। अब सरकार इन सबके बाद एक नई युक्तिकरण योजना लेकर आ रही है।
⚕️ स्टाफ की असमानता दूर करने पर जोर
वर्तमान में प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में कहीं डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की कमी है तो कहीं जरूरत से ज्यादा कर्मचारी तैनात हैं। इस असमान वितरण के कारण मरीजों को सही समय पर उपचार नहीं मिल पा रहा।
कई बार मरीजों को इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) शिमला या टांडा मेडिकल कॉलेज रेफर करना पड़ता है। कुछ मरीजों को तो इलाज के लिए राज्य से बाहर भी जाना पड़ता है। सरकार का मानना है कि युक्तिकरण के माध्यम से स्टाफ की उपलब्धता और मरीजों की ज़रूरतों के बीच संतुलन स्थापित किया जा सकेगा।
🧠 आधुनिक तकनीक से लैस होंगे मेडिकल कॉलेज
राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में नई अत्याधुनिक मशीनें और उपकरण स्थापित करने की दिशा में भी कदम उठाए हैं।
20 साल पुरानी मशीनों को अब चरणबद्ध तरीके से बदला जा रहा है और उनकी जगह नई तकनीक आधारित उपकरण लगाए जा रहे हैं।
हाल ही में कुछ मेडिकल कॉलेजों में रोबोटिक सर्जरी सिस्टम की स्थापना की गई है, जिससे जटिल ऑपरेशनों को भी कम समय और अधिक सटीकता के साथ किया जा सकेगा।
🩺 सरकार की प्राथमिकता: “हर मरीज तक गुणवत्तापूर्ण इलाज”
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने स्पष्ट कहा है कि राज्य सरकार का उद्देश्य सिर्फ अस्पतालों का आधुनिकीकरण नहीं, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था को मरीजों के लिए सुलभ और भरोसेमंद बनाना है।
इस युक्तिकरण योजना के लागू होने के बाद हर जिला और उप-ज़िला अस्पताल में पर्याप्त संख्या में डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ और आवश्यक उपकरण मौजूद रहेंगे।
🌿 निष्कर्ष
हिमाचल प्रदेश की यह नई पहल स्वास्थ्य सेवाओं को आधुनिक, संतुलित और मरीज-केंद्रित बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है।
डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ का सही वितरण न केवल इलाज की गुणवत्ता बढ़ाएगा, बल्कि मरीजों की परेशानी को भी काफी हद तक कम करेगा।
