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मालदीव में सिगरेट पीना पड़ा भारी, सरकार ने लगाया कड़ा प्रतिबंध — पकड़े जाने पर देना होगा भारी जुर्माना

Sumansorey
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मालदीव सरकार का सख्त कदम — सिगरेट पीने पर लगा बैन

अब अगर आप मालदीव घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो ज़रा संभल जाइए।
सरकार ने सिगरेट पीने वालों पर बड़ा शिकंजा कस दिया है।
मालदीव सरकार ने एक नया कानून लागू किया है जिसके तहत 1 जनवरी 2007 के बाद जन्मे किसी भी व्यक्ति को सिगरेट, तंबाकू उत्पाद या ई-सिगरेट पीने की अनुमति नहीं होगी।

इस कानून का मकसद है — आने वाली पीढ़ियों को “तंबाकू-मुक्त” बनाना और देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य को मज़बूत करना।


🧾 नया कानून 1 नवंबर से लागू

मालदीव के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार यह नियम 1 नवंबर 2025 से लागू हो गया है।
कानून को लागू करने का आदेश खुद राष्ट्रपति मोहम्मद मुईज़ू ने दिया था।

अब से कोई भी व्यक्ति — चाहे वह स्थानीय नागरिक हो या विदेशी पर्यटक, अगर वह सिगरेट या वेपिंग डिवाइस का उपयोग करता पाया गया, तो उसे भारी जुर्माना देना होगा।


💰 कितना है जुर्माना?

मालदीव सरकार ने नियम तोड़ने वालों पर सख्त आर्थिक दंड तय किए हैं —

  • 🚫 किसी नाबालिग को सिगरेट या तंबाकू बेचना:
    50,000 रुफिया (लगभग ₹2.84 लाख) तक का जुर्माना।

  • 🚭 ई-सिगरेट या वेपिंग करते पकड़े जाने पर:
    5,000 रुफिया (लगभग ₹28,000) का जुर्माना।

साथ ही, दुकानदारों को हर बिक्री से पहले खरीदार की उम्र की पुष्टि करना अनिवार्य कर दिया गया है।


📦 बिक्री, आयात और उपयोग पर पूरी तरह रोक

यह कानून सिर्फ सिगरेट तक सीमित नहीं है।
अब वेपिंग डिवाइस, ई-सिगरेट, तंबाकू उत्पादों की बिक्री, आयात, वितरण और उपयोग सभी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है।

मालदीव के करीब 1,191 द्वीपों पर फैले सभी पर्यटक स्थलों में भी यह नियम लागू होगा।
इसका मतलब है कि अब आप समुद्र किनारे बैठे धुआं उड़ाने का मज़ा नहीं ले पाएंगे!


🌍 उद्देश्य — “तंबाकू मुक्त पीढ़ी” बनाना

मालदीव सरकार ने साफ कहा है कि इस कानून का उद्देश्य है

“जनता की सेहत की रक्षा करना और आने वाली पीढ़ियों को तंबाकू की लत से मुक्त रखना।”

यह दुनिया के उन कुछ देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने “पीढ़ी-दर-पीढ़ी धूम्रपान पर प्रतिबंध” (Generation Ban Policy) लागू की है।


🗣️ विशेषज्ञों की राय

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति आने वाले वर्षों में कैंसर, हृदय रोग, और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों को काफी हद तक कम कर सकती है।
भारत समेत कई एशियाई देशों में भी अब इसी तरह के कदम उठाने की मांग तेज़ हो सकती है।

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