गगरेट/अंबोटा (ऊना): हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध द्रोण महादेव शिव मंदिर, शिवबाड़ी को अब हिमाचली स्थापत्य शैली में विकसित किया जा रहा है। यह मंदिर मां चिंतपूर्णी मंदिर के चारों ओर स्थित चार महारुद्रों में से एक है और राज्य के आध्यात्मिक पर्यटन मानचित्र पर विशेष स्थान रखता है।
मंदिर प्रशासन द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार, मंदिर के मुख्य भवन की बाहरी दीवारों पर धौलाधार क्षेत्र में मिलने वाले खनियारा स्लेट पत्थर लगाए जाएंगे, जबकि मंदिर के गुंबद को मंडी स्टोन से सजाया जाएगा। इसका उद्देश्य श्रद्धालुओं को हिमाचली पहचान से जोड़ना और पारंपरिक शैली को संरक्षित करना है।
🔨 संरचना और शैली का विशेष ध्यान
पुरातत्व विभाग की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए, मंदिर के प्राचीन स्वरूप को बरकरार रखते हुए ही यह कायाकल्प किया जा रहा है। मंदिर ट्रस्ट पहले ही परिसर में एक भव्य शिव वाटिका का निर्माण करवा चुका है, जिसने मंदिर की सुंदरता और आकर्षण में अभूतपूर्व वृद्धि की है।
अब, मुख्य भवन को हिमाचली शैली में विकसित कर श्रद्धालुओं को एक आध्यात्मिक अनुभव देने की दिशा में कदम बढ़ाया गया है। मंदिर की दीवारें पारंपरिक स्लेट से सुसज्जित होंगी और गुंबद पर मंडी पत्थर की कलात्मकता झलकती दिखाई देगी।
🤝 दानदाताओं के सहयोग से हो रहा विकास
विशेष बात यह है कि इस कार्य के लिए मंदिर ट्रस्ट पर कोई वित्तीय भार नहीं पड़ेगा। निर्माण कार्य दानदाताओं के सहयोग से किया जा रहा है। इससे न केवल मंदिर की भव्यता बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय धार्मिक पर्यटन को भी नया आयाम मिलेगा।
🛕 धार्मिक पर्यटन की संभावनाएं
एसडीएम सौमिल गौतम, जो मंदिर ट्रस्ट के सह आयुक्त भी हैं, का मानना है कि द्रोण महादेव शिव मंदिर में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं और दानी सज्जनों से विकास कार्यों में सहयोग की अपील भी की है।
वहीं, विधायक राकेश कालिया ने कहा कि यह मंदिर ऊना जिले के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शामिल है, और इसे और अधिक भव्य रूप देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
🌿 शिवबाड़ी की शिव वाटिका बनी आकर्षण का केंद्र
इससे पूर्व, मंदिर परिसर के निकट शिव वाटिका का निर्माण हो चुका है, जो श्रद्धालुओं के लिए शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करती है। यह वाटिका न केवल मंदिर परिसर की शोभा बढ़ाती है बल्कि भक्तों के लिए ध्यान और साधना का केंद्र भी बन चुकी है।