पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से यह स्पष्ट करने के लिए जवाब मांगा है कि राज्य में प्रवासी मजदूरों को हिरासत में लेने के लिए क्या कोई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) मौजूद है। कोर्ट का यह रुख हाल ही में हुई एक घटना के बाद सामने आया है, जब हरियाणा पुलिस ने कई लोगों को अवैध प्रवासी समझकर हिरासत में लिया था।
जुलाई में गुरुग्राम में कई बंगाली भाषी मजदूरों को हिरासत में लिया गया। पुलिस ने उन्हें बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासी समझा। लेकिन दस्तावेज़ों की जांच के बाद यह स्पष्ट हो गया कि सभी लोग पश्चिम बंगाल और असम के नागरिक हैं। इसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।
दिल्ली निवासी निर्मल गोराना ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि हरियाणा और पंजाब दोनों राज्यों में या तो कोई स्पष्ट सत्यापन प्रक्रिया मौजूद नहीं है या फिर अधिकारियों द्वारा उसका खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।
कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा है कि प्रवासी मजदूरों की पहचान और हिरासत के लिए कौन-सी प्रक्रिया अपनाई जा रही है। साथ ही सरकार को यह बताने के निर्देश दिए गए हैं कि भविष्य में इस तरह की गलतियों से बचने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।