पंजाब में मानसून की सक्रियता ने हालात चिंताजनक बना दिए हैं। लगातार हो रही भारी बारिश के चलते राज्य की नदियां उफान पर हैं और जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। पठानकोट में रावी, उज्ज और जलालिया दरिया का जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।
सबसे बड़ा असर पठानकोट-जालंधर नेशनल हाईवे पर देखने को मिला, जहां चक्की दरिया पर बना पुराना पुल तेज बहाव में बह गया। वहीं, नए पुल को भी खतरा देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से उस पर आवाजाही बंद कर दी है। इससे हाईवे का ट्रैफिक पूरी तरह बाधित हो गया है और फिलहाल केवल रेलमार्ग ही यात्रा का विकल्प बचा है। प्रशासन ने ट्रैफिक को वाया नरोट जैमल सिंह डायवर्ट कर दिया है।
रणजीत सागर डैम के फ्लड गेट खोले गए हैं ताकि अतिरिक्त पानी छोड़ा जा सके। इसी तरह होशियारपुर के पौंग डैम और रूपनगर के नंगल डैम से भी लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। इसके चलते सतलुज और ब्यास दरिया में भी जलस्तर लगातार बढ़ रहा है।
हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में हो रही भारी वर्षा का असर पंजाब में साफ दिखाई दे रहा है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों से लगातार पानी आने की वजह से नदियों का बहाव तेज हो गया है। इसके अलावा भूस्खलन और जलभराव ने लोगों की परेशानियां बढ़ा दी हैं।
जम्मू-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी एक पुल क्षतिग्रस्त हो गया है। कटड़ा में माता वैष्णो देवी के बैटरी कार मार्ग को करीब दस घंटे बंद रखना पड़ा। कुपवाड़ा में एक इमारत गिरने से 30 लोग घायल हो गए हैं।
मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है कि 27 अगस्त तक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बादल फटने और भूस्खलन का खतरा बना रहेगा। लोगों को सतर्क रहने और प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने की अपील की गई है।