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अमृतसर सीमा गांवों में बाढ़ का कहर: रावी नदी ने निगली 50 एकड़ उपजाऊ ज़मीन

Sumansorey
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अमृतसर (पंजाब)। पाकिस्तान सीमा से सटे अमृतसर जिले के कक्कड़ और रानियां गांवों के किसान इस समय दोहरी मार झेल रहे हैं। एक ओर खेती के लिए उन्हें पहले ही सुरक्षा मंजूरी लेनी पड़ती थी, वहीं अब उफनती रावी नदी ने लगभग 50 एकड़ उपजाऊ ज़मीन को अपनी धारा में समा लिया है।

किसानों की पीड़ा – "हमने अपनी जमीन को डूबते देखा"

गांव कक्कड़ के किसान सुखराजबीर पाल सिंह गिल ने बताया कि रावी ने अचानक अपना रुख बदल लिया और खेतों में घुस आई। तेज बहाव ने उनकी पैदावार वाली ज़मीन बहा दी और पानी पाकिस्तान की ओर चला गया।

"हम बस बेबस होकर देखते रह गए। यह ज़मीन सिर्फ हमारी रोज़ी-रोटी नहीं थी, बल्कि हमारी विरासत थी। पीढ़ियों से जिस ज़मीन पर मेहनत की, वह पानी में बह गई," – सुखराजबीर पाल सिंह गिल।

सुखराजबीर और उनके भाइयों की करीब 50 एकड़ ज़मीन थी, जिसमें से 15 एकड़ पूरी तरह से रावी में समा चुकी है।

सरकार की उपेक्षा का आरोप

गांव के ही किसान कुलबीर सिंह गिल, जिनकी 6 एकड़ ज़मीन है, ने राज्य और केंद्र सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया। उनका कहना है कि सीमा के पास खेती करना पहले से ही जोखिम भरा है, लेकिन बाढ़ और कटाव ने उनकी मुश्किलें कई गुना बढ़ा दी हैं।

वहीं जसबीर सिंह का कहना है कि नुकसान अभी भी थमा नहीं है।

"पानी पूरी तरह से नहीं उतरा है। रावी लगातार हमारी ज़मीन को काट रही है। हर दिन हमारी आँखों के सामने ज़मीन का टुकड़ा-टुकड़ा गायब हो रहा है," – जसबीर सिंह।

भावनात्मक और आर्थिक नुकसान

इन किसानों के लिए यह केवल आर्थिक क्षति नहीं है, बल्कि भावनात्मक आघात भी है। सीमा पर रहने वाले अधिकतर परिवार केवल खेती पर ही निर्भर हैं। अब बाढ़ और कटाव के कारण उनकी आजीविका ही खतरे में पड़ गई है।

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