दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या एक बार फिर गंभीर होने वाली है। हर साल की तरह इस बार भी सितंबर खत्म होते-होते पंजाब के कई इलाकों में किसानों ने पराली जलाना शुरू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के कड़े आदेशों और सरकार की रोक-टोक के बावजूद किसानों द्वारा धान कटाई के बाद खेतों में पराली को आग लगाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
अब तक सामने आए 62 मामले
पंजाब सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 15 सितंबर से अब तक पराली जलाने के कुल 62 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा घटनाएं अमृतसर जिले से आई हैं। इसके अलावा बरनाला से दो, बठिंडा से एक, फिरोजपुर से एक, होशियारपुर से एक, जालंधर से एक, कपूरथला से एक, संगरूर से एक, एसएएस नगर (मोहाली) से एक और मालेरकोटला से एक मामला सामने आया है।
सबसे गंभीर स्थिति पटियाला और तरनतारन में रही है, जहां सात-सात मामलों की पुष्टि हुई है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्ती दिखाते हुए प्रशासन ने अब तक 14 किसानों पर FIR दर्ज की है।
दिल्ली की हवा पर असर तय
अक्टूबर की शुरुआत के साथ ही जब हवा का रुख बदलता है तो पराली का धुआं सीधे दिल्ली और एनसीआर तक पहुंचता है। यही वजह है कि हर साल इस मौसम में राजधानी की वायु गुणवत्ता (Air Quality) खतरनाक स्तर तक गिर जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पराली जलाने की घटनाएं इसी तरह बढ़ती रहीं तो आने वाले हफ्तों में दिल्ली की हवा जहरीली हो जाएगी।
सरकार लगातार किसानों को पराली न जलाने और वैकल्पिक तरीकों को अपनाने की अपील कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका असर फिलहाल बहुत कम दिखाई दे रहा है।