पंजाब इन दिनों भयंकर बाढ़ की चपेट में है। इस बार की तबाही ने पिछले कई दशकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। सरकार ने सभी 23 जिलों को बाढ़ प्रभावित घोषित कर दिया है। ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़ 1,902 गांव डूब चुके हैं, 3.8 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं और 11.7 लाख हेक्टेयर से अधिक फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। अब तक 43 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है।
सबसे ज्यादा प्रभावित ज़िले
पंजाब का गुरदासपुर जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां 329 गांव डूब गए हैं, 1.45 लाख लोग प्रभावित हैं और करीब 40,000 हेक्टेयर खेतीबाड़ी का नुक़सान हुआ है।
पाकिस्तान पंजाब भी बाढ़ की चपेट में
भारत ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान का पंजाब प्रांत भी इस भीषण बाढ़ से जूझ रहा है। वहां भी अब तक 43 मौतें हुई हैं और 9 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं। यह आंकड़े वहां की प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (PDMA) ने जारी किए हैं।
क्यों बार-बार बाढ़ आती है पंजाब में?
पंजाब को पांच नदियों की भूमि कहा जाता है। यहां सतलुज, ब्यास और रावी जैसी नदियाँ सालभर बहती हैं। इनके अलावा कई छोटी नदियाँ, सहायक नदियाँ और मौसमी नाले भी हैं। यही कारण है कि भौगोलिक दृष्टि से पंजाब हमेशा से बाढ़-प्रवण क्षेत्र रहा है।
लेकिन सिर्फ़ प्राकृतिक कारण ही ज़िम्मेदार नहीं हैं।
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सरकारी लापरवाही और कुप्रबंधन
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समय पर नालों और बंधों की सफाई न होना
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डैम और बैराज से पानी का अनियंत्रित निकासी
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शहरीकरण और अवैध निर्माण
इन सभी मानवीय कारणों ने बाढ़ की समस्या को और भी गंभीर बना दिया है।
निष्कर्ष
पंजाब में बाढ़ केवल प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि इंसानी गलतियों का भी बड़ा योगदान है। जब तक नदियों और बांधों का सही प्रबंधन नहीं होगा और योजना-बद्ध विकास नहीं किया जाएगा, तब तक पंजाब को बार-बार इस तबाही का सामना करना पड़ेगा।