जीएसटी दरों में हाल ही में की गई कटौती कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं था, बल्कि इसके पीछे महीनों की लंबी तैयारी और गहन मंथन था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले छह महीनों से लगातार अलग-अलग समूहों, विशेषज्ञों और राज्यों से बातचीत कर पूरा ग्राउंडवर्क तैयार किया था।
पीएम मोदी का स्पष्ट निर्देश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा था कि मध्यवर्ग और गरीब तबके को सीधी राहत पहुंचनी चाहिए। यही वजह रही कि सरकार ने टैक्स स्लैब में संशोधन को प्राथमिकता दी। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने भी राजनीतिक रूप से संवेदनशील वस्तुओं पर टैक्स को लेकर कई बैठकें कीं, ताकि आगे चलकर कोई विवाद न हो।
राज्यों की चिंता
हालांकि जीएसटी परिषद की बैठक में विपक्ष शासित राज्यों ने राजस्व घाटे को लेकर आपत्तियां जताईं। उनका मानना था कि टैक्स दरों में कटौती से उनकी कमाई प्रभावित होगी। इस कारण परिषद की बैठक दो दिनों तक चली और कई बार हालात वोटिंग तक पहुंचे।
देर रात तक चला मंथन
सरकार चाहती थी कि जीएसटी दरों में राहत का ऐलान जल्द से जल्द हो, क्योंकि पीएम मोदी ने लाल किले से अपने संबोधन में इसका संकेत पहले ही दे दिया था। लेकिन राज्यों की आपत्तियों और मतभेदों के चलते चर्चा देर रात तक खिंच गई। आखिरकार वोटिंग की नौबत आने के बाद फैसला लिया गया और आम जनता को राहत देने के लिए दरों में कटौती को मंजूरी मिल गई।
👉 इस पूरी प्रक्रिया ने साफ कर दिया कि कोई भी बड़ा फैसला अचानक नहीं लिया जाता। जीएसटी दरों में कटौती आम लोगों के लिए राहत का पैकेज है, लेकिन इसके पीछे सरकार का महीनों का होमवर्क और केंद्र-राज्यों के बीच लंबे संवाद की अहम भूमिका रही।