कारीगर और शिल्पकार भारतीय संस्कृति की धरोहर हैं। इन्हीं की मेहनत और कौशल से परंपरागत कला और हस्तशिल्प पीढ़ी-दर-पीढ़ी जीवित रहे हैं। लेकिन बदलते दौर में इनकी आजीविका और कामकाज चुनौतियों से भरे रहे हैं। इसी पृष्ठभूमि में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना शुरू की है, जिसका मकसद कारीगरों को व्यापक सहयोग और अवसर उपलब्ध कराना है।
🔹 योजना का उद्देश्य
इस योजना का लक्ष्य है कि कारीगर केवल जीविका तक सीमित न रहें, बल्कि अपने हुनर से वैल्यू चेन में आगे बढ़ें। यानी उन्हें आधुनिक उपकरण, वित्तीय सहयोग, प्रशिक्षण और बाजार तक पहुंच दिलाई जाएगी, ताकि वे अपने काम को बड़े स्तर पर ले जा सकें।
🔹 हरियाणा में कैसे बदलेगा परिदृश्य?
हरियाणा सरकार इस योजना को गांव-गांव तक पहुंचाने पर जोर दे रही है। यहां के बुनकर, लोहार, बढ़ई, सुनार और अन्य पारंपरिक कारीगर इससे सीधा लाभ उठा सकेंगे।
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प्रशिक्षण कार्यक्रम: हुनर सुधारने और नई तकनीक सीखने के अवसर।
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वित्तीय सहयोग: आसान ऋण और सरकारी सहायता।
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बाज़ार तक पहुंच: स्थानीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक बिक्री की सुविधा।
🔹 कारीगरों के लिए नई उम्मीद
यह योजना कारीगरों को केवल आर्थिक सहारा ही नहीं देगी, बल्कि उन्हें सम्मान और पहचान भी दिलाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सही ढंग से लागू किया गया, तो यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मज़बूत करेगी और युवाओं को परंपरागत हुनर से जोड़ने में मदद करेगी।