पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ड्यूटी के दौरान शराब के नशे में पकड़े गए पुलिसकर्मी को किसी तरह की राहत या नरमी नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा कि पुलिस बल के सदस्य पर आम नागरिकों से कहीं अधिक जिम्मेदारी होती है, क्योंकि वह कानून-व्यवस्था बनाए रखने का काम करता है।
मामला क्या है?
यह टिप्पणी हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एक सात साल पुराने मामले में दी। इसमें एक पुलिस कांस्टेबल ड्यूटी के दौरान नशे में पाया गया था। उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करते हुए दो वेतन वृद्धि रोकने की सजा (क्यूम्युलेटिव इफेक्ट सहित) दी गई थी।
अदालत का फैसला
जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी की बेंच ने कहा कि —
“पुलिस बल के सदस्य के लिए इस तरह का आचरण गंभीर कदाचार है और यह एक अनुशासित बल के सदस्य के लिए शोभा नहीं देता। इससे न केवल पुलिस की छवि खराब होती है बल्कि सार्वजनिक शांति और व्यवस्था भी प्रभावित होती है।”
बेंच ने यह भी कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता स्वयं एक पुलिसकर्मी है और उसकी ड्यूटी कानून-व्यवस्था बनाए रखना है, इसलिए दी गई सजा को न तो अत्यधिक और न ही अनुपातहीन कहा जा सकता।
👉 हाईकोर्ट के इस फैसले ने साफ कर दिया है कि वर्दीधारी जवानों को हमेशा अनुशासन और जिम्मेदारी का पालन करना होगा। ड्यूटी के दौरान शराब पीना किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।