राष्ट्र व्यू अपडेट्स | शिमला
हिमाचल प्रदेश सरकार ने केंद्र से आग्रह किया है कि राज्य को अगले पांच वर्षों तक हर साल 10,000 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा अनुदान (Revenue Deficit Grant) प्रदान किया जाए।
राज्य की वित्तीय स्थिति लंबे समय से दबाव में है। मौजूदा परिस्थितियों में सरकार के सामने वेतन और पेंशन जैसे निश्चित खर्च पूरे करना बड़ी चुनौती बना हुआ है। हिमाचल सरकार को हर महीने लगभग 2000 करोड़ रुपये सिर्फ वेतन (1200 करोड़) और पेंशन (800 करोड़) पर खर्च करने पड़ते हैं।
वित्त आयोग से उम्मीदें
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन डा. अरविंद पनगढिय़ा से मुलाकात कर यह मांग रखी है कि राज्य को कम से कम 10 हजार करोड़ रुपये वार्षिक सहायता मिले। यदि यह स्वीकृत होती है तो प्रदेश को हर महीने लगभग 833 करोड़ रुपये का अनुदान मिलेगा, जिससे पेंशन जैसी आवश्यकताओं को आसानी से पूरा किया जा सकेगा।
क्यों जरूरी है यह मदद?
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हिमाचल की भौगोलिक स्थिति कठिन है, जिससे विकास कार्यों की लागत अधिक आती है।
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राज्य का बड़ा हिस्सा वन भूमि से घिरा है, जिसके चलते कानूनी अड़चनें और खर्च दोनों बढ़ जाते हैं।
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आय और खर्च के बीच बढ़ता अंतर राज्य की अर्थव्यवस्था पर दबाव डाल रहा है।
वित्त आयोग का दौरा
जून 2024 में वित्त आयोग की टीम ने हिमाचल का दौरा किया था। आयोग की सिफारिशें 2026 से लागू होंगी। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार लगातार दिल्ली जाकर अपने पक्ष को मज़बूती से रख रही है। मुख्यमंत्री अब तक चार बार आयोग अध्यक्ष से मिल चुके हैं और इस विषय पर अतिरिक्त मेमोरेंडम भी सौंपा जा चुका है।
निष्कर्ष
हिमाचल प्रदेश की आर्थिक मजबूती के लिए केंद्र की ओर से पर्याप्त वित्तीय सहयोग अनिवार्य है। आने वाले समय में आयोग की सिफारिशें और केंद्र का फैसला राज्य के विकास की गति तय करेंगे।