राष्ट्र व्यू | हिमाचल।
नवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मिक यात्रा और आंतरिक शक्ति का प्रतीक है। यह पर्व हमें उस अंधकार को मिटाने का अवसर देता है जो हमारे भीतर की स्पष्टता, आनंद और आत्मविश्वास को ढक लेता है।
‘रात्रि’ शब्द अज्ञान और भ्रम का प्रतीक है, लेकिन नवरात्रि की हर रात हमें जागरूकता और आत्मबल की ओर बुलाती है। यह पर्व तीन प्रमुख आयामों में जीवन को दिशा देता है:
1. ज्ञान
आज की सूचना-प्रधान दुनिया में नवरात्रि हमें विवेक और चिंतन की ओर लौटने की प्रेरणा देती है। सच्चा ज्ञान केवल जानने में नहीं, बल्कि समझने और उसे जीवन में उतारने में है।
2. समृद्धि
नवरात्रि हमें याद दिलाती है कि समृद्धि केवल धन तक सीमित नहीं है। अच्छा स्वास्थ्य, मानसिक शांति, आनंद और सार्थक रिश्ते ही असली समृद्धि हैं।
3. शक्ति
भक्ति की शक्ति, नकारात्मकता पर विजय पाने का साहस और हर बार गिरकर उठ खड़े होने की क्षमता ही नवरात्रि का वास्तविक संदेश है।
भावनात्मक जुड़ाव
कांगड़ा मां बज्रेश्वरी की पावन भूमि से जुड़ी पाकशास्त्री और शोधकर्ता नितिका कुठियाला लिखती हैं कि नवरात्रि उनके लिए एक गहरी भावनात्मक अनुभूति है। बचपन की रामलीला, उपवास का भोजन और आस्था का वातावरण आज भी उनके जीवन में जीवंत है।
वह कहती हैं कि दशहरा केवल रावण दहन नहीं, बल्कि हमारे भीतर के अहंकार, क्रोध और अज्ञान पर विजय पाने का प्रतीक है।
आत्ममंथन का पर्व
इस नवरात्रि, खुद से पूछें — कौन सा अंधकार है जिसे हमें मिटाना है? हर दिन को विजयदशमी की तरह बनाएं, जहां शिकायत की जगह कृतज्ञता और निराशा की जगह आशा का चुनाव हो।
नवरात्रि का संदेश यही है — वही पकाइए जो दिल को भाए, वही बांटिए जो अपनों को सुकून दे और वही मनाइए जो जीवन को सुंदर बनाए।