शिमला, 06 सितंबर – हिमाचल प्रदेश इस समय भारी प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। लगातार हो रही बारिश और भूस्खलनों से चंबा, कुल्लू, मंडी, कांगड़ा और शिमला जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। इस संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित दौरे ने आपदा प्रभावितों में राहत की उम्मीद जगा दी है।
बताया जा रहा है कि पीएम मोदी का दौरा 9 सितंबर को फाइनल हो सकता है, हालांकि अभी प्रधानमंत्री कार्यालय से अनुमति मिलनी बाकी है। दौरे के दौरान प्रधानमंत्री चंबा और कुल्लू के आपदाग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण कर स्थिति का जायजा लेंगे।
राहत पैकेज की उम्मीद
पीएम मोदी के दौरे से प्रदेश में राहत की उम्मीदें बढ़ गई हैं। आपदा प्रभावितों का कहना है कि प्रधानमंत्री न केवल स्थिति का निरीक्षण करेंगे बल्कि हिमाचल के लिए विशेष राहत पैकेज की घोषणा भी कर सकते हैं। राज्य सरकार ने पहले ही विधानसभा में प्रदेश को राष्ट्रीय आपदा क्षेत्र घोषित करने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र से मदद मांगी है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की टीमें करेंगी नुकसान का आकलन
नुकसान का जायजा लेने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की दो टीमें रविवार को हिमाचल पहुंचेंगी। एक टीम पठानकोट से चंबा, जबकि दूसरी चंडीगढ़ से कुल्लू पहुंचेगी। ये टीमें 7 से 10 सितंबर तक प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपेंगी। अब तक नुकसान का आंकड़ा 3,959 करोड़ रुपये से अधिक बताया गया है, जो बारिश जारी रहने से और बढ़ सकता है।
मौतों का भयावह आंकड़ा
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के अनुसार 20 जून से अब तक 355 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से 194 मौतें भूस्खलन, अचानक बाढ़ और बिजली गिरने जैसी घटनाओं में हुई हैं, जबकि 161 मौतें सड़क हादसों में हुई हैं। इसके अलावा 416 लोग घायल हुए हैं और 49 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। सबसे ज्यादा मौतें मंडी (58), कांगड़ा (50), चंबा (43), शिमला (38), कुल्लू (31) जिलों में हुई हैं।
लगातार आपदाओं का दौर
हिमाचल प्रदेश में आपदाओं का सिलसिला नया नहीं है। वर्ष 2023 में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ था। वर्ष 2024 में भी शिमला और कुल्लू में आपदा का असर देखा गया। इस बार कांगड़ा, चंबा, कुल्लू, मंडी और लाहौल-स्पीति में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है।
राहत की आस
प्रधानमंत्री के दौरे से आपदा पीड़ितों में राहत की उम्मीद बढ़ी है। घर, दुकान और खेत खो चुके लोग मानते हैं कि केंद्र सरकार की मदद से पुनर्निर्माण और राहत कार्य तेज होंगे। प्रदेश सरकार का कहना है कि केवल राज्य संसाधनों से राहत कार्य संभव नहीं है और केंद्र से विशेष सहायता आवश्यक है।
यह दौरा न केवल राजनीतिक बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी बेहद अहम माना जा रहा है।