बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर (PK) लगातार सक्रिय हैं और भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाकर जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। उनका अंदाज कहीं न कहीं लोगों को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याद दिलाता है, जिन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के जरिए राजनीति में एंट्री ली थी।
लेकिन सवाल यह है कि क्या बिहार में भी वही माहौल है?
दिल्ली में केजरीवाल को 'अन्ना हजारे' जैसे मजबूत चेहरे का समर्थन मिला था, जबकि बिहार में प्रशांत किशोर के पास ऐसा कोई करिश्माई चेहरा नहीं है। यही उनकी सबसे बड़ी चुनौती मानी जा रही है।
भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर विरोधियों पर हमले
प्रशांत किशोर लगातार बिहार सरकार और विपक्षी दलों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। हाल ही में उनके इन आरोपों के चलते कई कानूनी पचड़े भी सामने आए हैं।
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पटना के सीजेएम कोर्ट ने उन्हें 17 अक्टूबर को पेश होने का आदेश दिया है।
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यह मानहानि का केस बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी की ओर से जून 2025 में किया गया था।
दरअसल, प्रशांत किशोर ने अशोक चौधरी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने पैसे लेकर अपनी बेटी को लोकसभा टिकट दिलवाया। उनकी बेटी शांभवी चौधरी इस समय समस्तीपुर से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सांसद हैं। इस आरोप के चलते चिराग पासवान भी परोक्ष रूप से घेरे में आ गए हैं।
अन्य केस भी लंबित
प्रशांत किशोर पर बिहार बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी मानहानि का केस किया है। यानी PK का भ्रष्टाचार विरोधी अभियान धीरे-धीरे कानूनी जाल में उलझता जा रहा है।