नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि 1 अक्तूबर से सभी ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया जाएगा। इस फैसले से सबसे अधिक असर भारतीय फार्मा कंपनियों पर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
ट्रंप ने स्पष्ट किया कि केवल वही कंपनियां इस शुल्क से छूट पाएंगी, जिन्होंने अमेरिका में अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित किया है या जिसका निर्माण कार्य प्रगति पर है।
भारतीय निर्यात पर प्रभाव
सरकारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 में भारत से अमेरिका को फार्मास्यूटिकल्स का निर्यात 21.09% बढ़कर 978.39 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया। भारतीय कंपनियां अमेरिका को बड़े पैमाने पर जेनरिक दवाओं की आपूर्ति करती हैं।
उद्योग मंडल फिक्की की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका की जेनरिक दवाओं की 40% मांग भारतीय कंपनियों द्वारा पूरी की जाती है। भारत ने पिछले वित्त वर्ष में लगभग 30.47 अरब डॉलर मूल्य की दवाओं का निर्यात किया, जिसमें से 31% से अधिक निर्यात अमेरिका को हुआ।
भारत की तरह ब्रिटेन भी दवाओं की आपूर्ति के लिए भारतीय कंपनियों पर निर्भर है। ब्रिटेन की कुल मांग का लगभग 25% हिस्सा भारत से जाता है।
पृष्ठभूमि
अगस्त के पहले सप्ताह में अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 25% आयात शुल्क लगाया था। इसके बाद 22 अगस्त से शुल्क बढ़ाकर 50% कर दिया गया। अब 1 अक्तूबर से यह शुल्क 100% तक पहुंच जाएगा।
अमेरिका ने यह कदम भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने की वजह से उठाया है। ट्रंप का आरोप है कि रूस तेल से होने वाली कमाई को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में इस्तेमाल कर रहा है।
अन्य उत्पादों पर भी शुल्क
दवाओं के अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति ने घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए 1 अक्तूबर से अन्य उत्पादों पर भी शुल्क लगाने की घोषणा की है। इनमें शामिल हैं:
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भारी ट्रक – 25% आयात शुल्क
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किचन कैबिनेट और बाथरूम वैनिटी – 50% आयात शुल्क
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अपहोल्स्टर्ड फर्नीचर – 30% आयात शुल्क