हिमाचल प्रदेश सरकार ने पंचायत स्तर पर पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। विधानसभा में पंचायती राज संशोधन विधेयक, 2025 पारित किया गया है। इसके तहत जिन पंचायत प्रधानों या प्रतिनिधियों पर भ्रष्टाचार और वित्तीय गड़बड़ी के आरोप साबित होंगे, उन्हें भविष्य में पंचायत चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं मिलेगा।
मुख्यमंत्री का बयान
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि अब पंचायत चुनावों में सख्त नियम लागू होंगे। यदि कोई प्रधान पंचायत में ठेकेदारी करता है या अपने परिजनों को ठेका दिलाता है और जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो ऐसे व्यक्तियों को हमेशा के लिए चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया जाएगा।
विधानसभा में पेश हुआ विधेयक
यह विधेयक सोमवार को सदन में रखा गया। उस समय पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह मौजूद नहीं थे, इसलिए उद्योग मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने इसे पेश किया।
पंचायत स्तर पर बढ़ेगी जवाबदेही
सरकार का मानना है कि पंचायतें ग्रामीण विकास की रीढ़ होती हैं। यदि इसी स्तर पर भ्रष्टाचार होगा, तो योजनाओं का लाभ सही पात्रों तक नहीं पहुंच पाएगा। संशोधन के बाद पंचायत प्रतिनिधियों की जवाबदेही और अधिक तय होगी तथा सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता आएगी।
विपक्ष का समर्थन और सुझाव
विधानसभा में विपक्ष ने इस विधेयक का समर्थन किया। साथ ही सुझाव दिया कि केवल चुनावी रोक ही नहीं, बल्कि पंचायतों का नियमित ऑडिट और सख्त निगरानी प्रणाली भी जरूरी है, ताकि भ्रष्टाचार की संभावना जड़ से खत्म हो सके।