हिमाचल प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य पहाड़ी राज्यों में हाल ही में आई बाढ़ और भूस्खलनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। खासतौर पर कुल्लू जिले में बादल फटने के बाद ब्यास नदी के जरिये पंडोह डैम तक हजारों टन लकड़ियों का पहुंचना अदालत की नजर में गंभीर मामला बन गया है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स और दृश्य सामग्री से प्रतीत होता है कि बाढ़ में बहकर आई लकड़ियों की मात्रा सामान्य परिस्थितियों में संभव नहीं है। अदालत ने प्रथम दृष्टया इसे अवैध कटान का संकेत मानते हुए चिंता जताई।
कोर्ट ने इस मामले में हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की सरकारों को नोटिस जारी करते हुए तीन सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
पंडोह डैम तक पहुंची लकड़ियां
24 जून को कुल्लू जिले के कई इलाकों में बादल फटने से भारी तबाही हुई थी। पहाड़ी क्षेत्रों से बहकर आई सैकड़ों टन लकड़ियां ब्यास नदी के रास्ते पंडोह डैम तक पहुंच गईं।
इस घटना की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। कई यूजर्स ने इसे फिल्म “पुष्पा” स्टाइल अवैध कटान बताते हुए सरकार पर सवाल उठाए।
जांच और विभाग का दावा
सोशल मीडिया पर बढ़ते सवालों के बीच हिमाचल वन विभाग ने जांच के आदेश दिए। जांच के बाद विभाग ने कहा कि किसी भी तरह की अनियमितता नहीं मिली है।
प्रिंसिपल चीफ कंज़रवेटर ऑफ फॉरेस्ट (PCCF) संजय सूद का कहना है कि लकड़ियां अवैध कटान से नहीं बल्कि प्राकृतिक आपदा में पेड़ गिरने की वजह से नदी में बहकर आई थीं।