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छठ पूजा 2025: जानिए आपके शहर में अर्घ्य देने का सही समय, कब करें सूर्यदेव और छठी मइया की पूजा

Sumansorey
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छठ पूजा हिन्दू धर्म का एक महान पर्व है, जो आस्था, तपस्या और सूर्य देव की आराधना का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है और इसका हर दिन धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस पर्व में श्रद्धालु सूर्य देव और छठी मइया को अर्घ्य देकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।


🌄 छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा सूर्य उपासना का एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें अस्त होते सूर्य और उदय होते सूर्य दोनों को अर्घ्य दिया जाता है। यह परंपरा जीवन में संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है। माना जाता है कि इस पूजा से रोग, दुःख और कष्ट दूर होते हैं और परिवार में खुशहाली आती है।


🕕 आपके शहर में अर्घ्य देने का समय (28 अक्टूबर 2025)

छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन 28 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। इसे ऊषा अर्घ्य भी कहा जाता है। नीचे कुछ प्रमुख शहरों के समय दिए गए हैं:

1️⃣ पटना - सुबह 5:55 बजे
2️⃣ दिल्ली - सुबह 6:30 बजे
3️⃣ नोएडा - सुबह 6:30 बजे
4️⃣ मुंबई - सुबह 6:37 बजे
5️⃣ लखनऊ - सुबह 6:13 बजे
6️⃣ गोरखपुर - सुबह 6:03 बजे
7️⃣ आगरा - सुबह 6:25 बजे
8️⃣ गाज़ियाबाद - सुबह 6:29 बजे
9️⃣ मेरठ - सुबह 6:28 बजे
10️⃣ रांची - सुबह 5:51 बजे
11️⃣ प्रयागराज - सुबह 6:08 बजे
12️⃣ देवघर - सुबह 5:47 बजे
13️⃣ इंदौर - सुबह 6:29 बजे
14️⃣ चेन्नई - सुबह 6:01 बजे
15️⃣ बेंगलुरु - सुबह 6:12 बजे
16️⃣ कोलकाता - सुबह 5:38 बजे


🌸 कौन हैं छठी मइया?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मइया को सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन माना जाता है। वे उर्वरता, समृद्धि और संतान की रक्षक देवी हैं। बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में यह पर्व विशेष रूप से बच्चों की सुरक्षा और परिवार की भलाई के लिए मनाया जाता है।

माना जाता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा से छठी मइया की पूजा करता है, उसके जीवन में सूर्य की तरह प्रकाश और समृद्धि आती है।


🌅 छठ पूजा के चार पवित्र दिन

1️⃣ नहाय-खाय – पहला दिन, जब व्रती स्नान कर शुद्ध आहार ग्रहण करते हैं।
2️⃣ खरना – दूसरे दिन, गुड़ की खीर का प्रसाद बनाया जाता है।
3️⃣ संध्या अर्घ्य – तीसरे दिन, डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
4️⃣ ऊषा अर्घ्य – चौथे दिन, उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा संपन्न होती है।

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