चंडीगढ़: हरियाणा में एक बड़े प्रशासनिक झटके के रूप में, वरिष्ठ IPS अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या मामले में राज्य के शीर्ष अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।
इसमें मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, डीजीपी शत्रुघन कपूर, और रोहतक एसपी नरेन्द्र बिजारनिया समेत कुल 15 अधिकारियों के नाम शामिल हैं।
यह एफआईआर गुरुवार देर रात चंडीगढ़ सेक्टर-11 पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है।
एफआईआर में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 108, 3(5) और SC/ST एक्ट की धारा 3(1)(r) के तहत मामला दर्ज हुआ है। एफआईआर का नंबर 156 है।
🔹 हरियाणा के इतिहास में पहली बार FIR में DGP और मुख्य सचिव के नाम
यह हरियाणा के प्रशासनिक इतिहास में पहली बार है जब किसी मुख्य सचिव और डीजीपी के खिलाफ आधिकारिक एफआईआर दर्ज की गई है।
यह मामला न केवल पुलिस विभाग, बल्कि पूरे राज्य प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गया है।
🔹 पत्नी अमनीत पी. कुमार ने FIR की प्रक्रिया पर उठाए सवाल
IPS पूरन कुमार की पत्नी अमनीत पी. कुमार, जो खुद एक IAS अधिकारी हैं, ने दर्ज की गई एफआईआर पर असहमति जताई है।
उन्होंने चंडीगढ़ पुलिस को लिखित आवेदन देकर कहा कि एफआईआर में आरोपियों के नाम अलग कॉलम में दर्ज नहीं किए गए हैं और यह उचित प्रारूप (fixed format) में तैयार नहीं की गई।
इस मामले में उनकी चंडीगढ़ की SSP कनवरदीप कौर से भी फोन पर बात हुई है।
अमनीत जल्द ही SSP से मुलाकात कर औपचारिक आपत्ति दर्ज कराने वाली हैं।
🔹 पोस्टमॉर्टम अब तक नहीं हुआ, परिवार का सख्त रुख
पूरन कुमार के परिवार ने चौथे दिन तक पोस्टमॉर्टम कराने से इनकार कर दिया है।
अमनीत कुमार का कहना है कि जब तक डीजीपी शत्रुघन कपूर को पद से नहीं हटाया जाता और रोहतक एसपी को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक पोस्टमॉर्टम की अनुमति नहीं दी जाएगी।
🔹 मंत्री कृष्ण लाल पंवार को सौंपी गई जिम्मेदारी
राज्य सरकार ने मामले को संभालने के लिए पंचायती राज मंत्री कृष्ण लाल पंवार को नियुक्त किया है।
वे दो बार पूरन कुमार की पत्नी से मिल चुके हैं और पोस्टमॉर्टम की अनुमति देने के लिए समझाने की कोशिश कर चुके हैं।
लेकिन परिवार अपने रुख पर अडिग है।
🔹 परिवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस से बढ़ सकती हैं मुश्किलें
पूरन कुमार का परिवार आज शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रहा है, जिसमें वे कई बड़े खुलासे कर सकते हैं।
राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर तनाव का माहौल है।
संभावना है कि इसमें वरिष्ठ अधिकारियों पर सीधे आरोप लगाए जा सकते हैं।