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हरियाणा IPS सुसाइड केस: 15 अफसरों पर FIR के बाद बनी SIT, परिवार की सुरक्षा बढ़ाई गई; DGP शत्रुजीत कपूर की छुट्‌टी तय

Sumansorey
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चंडीगढ़/पंचकूला:
हरियाणा के वरिष्ठ IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में बड़ा मोड़ आ गया है।
इस केस में मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, डीजीपी शत्रुजीत कपूर, और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारणिया सहित कुल 15 अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है।

चंडीगढ़ पुलिस ने पूरन कुमार के सुसाइड नोट को आधार बनाते हुए
IPC की धारा 108, 3(5) और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(r) के तहत
एफआईआर नंबर 156 दर्ज की है।


🔹 SIT का गठन, परिवार की सुरक्षा बढ़ाई गई

एफआईआर दर्ज होने के बाद हरियाणा सरकार ने एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया है।
इस SIT को पूरे मामले की जांच जल्द पूरी कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
साथ ही, पूरन कुमार के परिवार की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है।
परिवार की सुरक्षा में सीनियर पुलिस अधिकारियों की एक टीम को लगाया गया है।


🔹 DGP शत्रुजीत कपूर की छुट्‌टी तय, नए DGP की तैयारी

सूत्रों के अनुसार, सरकार ने डीजीपी शत्रुजीत कपूर को छुट्‌टी पर भेजने का फैसला किया है।
उनकी जगह IPS आलोक कुमार को कार्यवाहक DGP बनाए जाने की तैयारी चल रही है।
राज्य सरकार ने इस संबंध में गृह विभाग से रिपोर्ट तलब की है और आदेश जल्द जारी हो सकते हैं।


🔹 पत्नी ने FIR में खामियों पर उठाए सवाल

आईएएस अमनीत पी. कुमार, जो पूरन कुमार की पत्नी हैं,
उन्होंने एफआईआर के प्रारूप पर आपत्ति जताई है।
अमनीत ने कहा कि “एफआईआर एक फिक्स फॉर्मेट में लिखी जानी चाहिए थी और
दोषियों के नाम अलग कॉलम में स्पष्ट रूप से दर्ज होने चाहिए थे।”

उन्होंने इस संबंध में चंडीगढ़ की एसएसपी कंवरदीप कौर से बातचीत की
और जल्द ही एसएसपी से मुलाकात करने का फैसला किया है।


🔹 पोस्टमार्टम पर परिवार का इनकार

पूरन कुमार का पोस्टमार्टम चौथे दिन भी नहीं हो सका है।
परिवार का कहना है कि जब तक डीजीपी को पद से नहीं हटाया जाता
और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारणिया को गिरफ्तार नहीं किया जाता,
वे पोस्टमार्टम की अनुमति नहीं देंगे।

राज्य के पंचायती राज मंत्री कृष्ण लाल पंवार को
पूरन कुमार के परिवार से बात करने और मामला सुलझाने की जिम्मेदारी दी गई है।
उन्होंने परिवार को दो बार समझाने की कोशिश की,
लेकिन परिवार अपने रुख पर कायम है।


🔹 क्या है अगला कदम?

अब सभी की नजरें SIT जांच और सरकार के अगले फैसले पर टिकी हैं।
यह पहली बार है जब हरियाणा के इतिहास में
मुख्य सचिव और DGP जैसे शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है।
इस मामले ने पूरे प्रशासनिक तंत्र को हिला कर रख दिया है।

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