हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अवमानना मामले में उपायुक्त (डीसी) कांगड़ा के कार्यालय के प्रति सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों का दायित्व है कि वे न्यायालय के आदेशों का समय पर पालन करें, अन्यथा यह शासन प्रणाली पर सवाल उठाता है।
न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने यह टिप्पणी तब की, जब पाया गया कि अदालत द्वारा 30 सितंबर तक मामले का निपटारा करने के आदेश के बावजूद, डीसी कांगड़ा के कार्यालय ने इसे लापरवाही से निपटाया। अदालत ने कहा कि यह रवैया न केवल न्यायालय की अवमानना है, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।
न्यायालय ने सख्त लहजे में कहा —
“उपायुक्त के कार्यालय को यह शोभा नहीं देता कि वह अदालत के आदेशों की अनदेखी करे। यदि किसी प्रकार की कठिनाई थी, तो संबंधित अधिकारी को समय विस्तार के लिए अदालत से संपर्क करना चाहिए था, न कि आदेशों की अवहेलना करनी चाहिए थी।”
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि संबंधित अधिकारी को तय समय सीमा के भीतर आवश्यक कार्रवाई करनी थी। आदेशों की जानबूझकर अवहेलना के चलते उपायुक्त कांगड़ा को अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना पड़ा।
इस दौरान अदालत ने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में यदि सरकारी अधिकारी इस प्रकार के मामलों में उदासीन रवैया अपनाते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
⚖️ निष्कर्ष (Conclusion):
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का यह कदम प्रशासनिक जवाबदेही को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अदालत ने स्पष्ट किया कि न्यायिक आदेशों की अवहेलना किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं होगी और ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी।