हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत लेकिन संवेदनशील पहाड़ों में मानसून की तबाही के निशान अभी भी दिखाई देते हैं। इन पहाड़ों की हवा में आज भी उस भीषण बारिश की गूंज सुनाई देती है जिसने मंडी जिले की सैराज घाटी को झकझोर कर रख दिया था। लेकिन इस विनाश के बीच, 14 महीने की नीतिका की हंसी अब इस धरती पर फिर से उम्मीद का संगीत बिखेर रही है।
🌧️ तबाही की रात: जब पहाड़ फट पड़ा
30 जून की रात लगभग 10 बजे, चच्योट तहसील के तलवाड़ा गांव में मूसलाधार बारिश शुरू हुई। देखते ही देखते, दो छोटी धाराएं — जो कभी शांत थीं — तेज बहाव वाली नदियों में बदल गईं।
रमेश कुमार का छोटा-सा घर इन दो धाराओं के बीच स्थित था। जैसे ही पानी घर में घुसने लगा, रमेश, उनकी पत्नी और मां ने मिलकर बहाव मोड़ने की कोशिश की। उन्हें क्या पता था कि पहाड़ों के ऊपर एक क्लाउडबर्स्ट (cloudburst) फट चुका है जो पलक झपकते ही सब कुछ बहा ले जाएगा।
भीतर, उनकी 11 महीने की बेटी नीतिका गहरी नींद में सो रही थी। कुछ ही पलों में, भीषण जलधारा घर को चीरती हुई आई — और सब कुछ अपने साथ बहा ले गई।
💔 विनाश के बाद की सुबह
अगली सुबह जब राहत दल गांव पहुंचा, तो दृश्य दिल दहला देने वाला था। रमेश का शव घर के पास ही मलबे में मिला, जबकि उनकी पत्नी और मां का कोई सुराग नहीं मिला।
लेकिन इस मलबे के बीच एक चमत्कार हुआ।
🌈 मलबे के बीच मिली ‘जीवन की उम्मीद’
राहतकर्मियों ने मलबे में एक कोने से रोने की धीमी आवाज़ सुनी। वहां उन्हें नीतिका मिली — घायल, ठिठुरती हुई, पर जिंदा। वह घर के टूटे हिस्से में फंसी हुई थी, पर किसी तरह पानी का बहाव उसे अपने साथ नहीं ले जा सका।
उस पल, सैराज घाटी में आंसुओं के बीच उम्मीद का जन्म हुआ। नीतिका की सांसें इस बात का प्रमाण थीं कि जीवन, चाहे जितनी बड़ी तबाही क्यों न आए, हार नहीं मानता।
🏠 अब नीतिका की नई दुनिया
आज नीतिका एक सुरक्षित घर में है। उसके नए परिवार ने उसे पूरे स्नेह के साथ अपनाया है। उसकी खिलखिलाहट अब इस घाटी में नई रोशनी बनकर फैल रही है।
स्थानीय लोग कहते हैं — “नीतिका उस रात का जवाब है, जिसने सब कुछ छीन लिया था, लेकिन फिर भी जिंदगी को मौका दिया।”
🌻 आशा का प्रतीक बनी नीतिका
सैराज घाटी में नीतिका अब उम्मीद और पुनर्जन्म की प्रतीक बन चुकी है। उसके छोटे-छोटे कदम उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा हैं जिन्होंने प्राकृतिक आपदाओं में अपना सब कुछ खोया।
उसकी मुस्कान बताती है कि प्रकृति भले ही कभी-कभी कठोर हो जाए, लेकिन जीवन की धारा कभी नहीं रुकती।
💬 निष्कर्ष:
नीतिका की कहानी केवल हिमाचल की नहीं, बल्कि मानवता की विजय गाथा है। मलबे के बीच जन्मी यह आशा हमें याद दिलाती है कि हर आपदा के बाद, जीवन फिर से मुस्कुराना जानता है। सैराज घाटी के घाव अभी भरे नहीं हैं, लेकिन नीतिका की मासूम मुस्कान बताती है कि नई सुबह जरूर आएगी।
