कुल्लू-मनाली नेशनल हाईवे (NH-03), जो हिमाचल प्रदेश की पर्यटन और व्यापार की जीवनरेखा माना जाता है, 26 अगस्त की विनाशकारी बाढ़ के बाद बुरी तरह प्रभावित हुआ। ब्यास नदी के किनारे बहा यह रास्ता अब धीरे-धीरे बहाल हो रहा है।
हालांकि 16 सितंबर से इसे आंशिक रूप से एकतरफा यातायात के लिए खोल दिया गया है, लेकिन 38 किलोमीटर का यह जर्जर हिस्सा अभी भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। मरम्मत कार्यों के चलते सड़क केवल कुछ घंटों के लिए ही खोली जा रही है।
सामाजिक कार्यकर्ता की नाराज़गी
सामाजिक कार्यकर्ता बुधि प्रकाश ठाकुर ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि
"क्रेट वॉल और सुरक्षात्मक तटबंध का काम बहुत धीमी गति से हो रहा है। मजदूरों की तैनाती इतनी कम है कि इस स्तर के नुकसान की भरपाई सालों में भी मुश्किल होगी।"
ठाकुर ने चेतावनी दी कि मौजूदा रफ्तार से केवल अस्थायी मरम्मत में ही तीन महीने और लग सकते हैं। इसका मतलब यह है कि ब्लैक-टॉपिंग और सड़क की पूरी बहाली अगले साल तक टल सकती है।
पैसों की कमी बनी सबसे बड़ी बाधा
परियोजना से जुड़े सूत्रों के मुताबिक असली रुकावट पत्थरों या भूस्खलन की नहीं, बल्कि पैसों की कमी है। ठेकेदारों के बकाए का भुगतान अब तक नहीं हुआ है। इससे वे मजदूरों को वेतन देने और निर्माण सामग्री खरीदने में असमर्थ हैं। नतीजतन मजदूरों की संख्या लगातार घट रही है और काम की रफ्तार बेहद धीमी हो गई है।
निष्कर्ष
मनाली सड़क की हालत इस समय केवल हिमाचल के लोगों की नहीं, बल्कि पूरे देश के पर्यटन कारोबार की चिंता का विषय है। आपातकालीन स्तर पर होना चाहिए था यह पुनर्निर्माण, लेकिन वित्तीय संकट और प्रशासनिक सुस्ती ने इसे एक लंबा खिंचता हुआ संघर्ष बना दिया है।