पाकिस्तान से एक भयंकर और विवादित घटना की खबर आ रही है। तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) के समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच हुई टकराव में कथित रूप से भारी रक्तपात हुआ है।
बताया जा रहा है कि TLP ने “गाज़ा योजना” के खिलाफ इस्लामाबाद तक मार्च करने की योजना बनाई थी। वे अमेरिका के दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन करना चाहते थे। लेकिन सरकार ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुरीदके में सुरक्षा बलों और TLP वर्करों के बीच संघर्ष हुआ। सुरक्षा बलों ने फायरिंग की और रेंजर्स तथा पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन चलाया। विरोध प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलीबारी की गई और आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए। TLP का दावा है कि इस कार्रवाई में 280 उनके वर्कर मारे गए और 1,900 से अधिक गंभीर रूप से घायल हुए।
घायलों और मृतकों की संख्या को लेकर आंकड़े अस्थिर हैं। कुछ स्थानीय स्रोतों और सरकारी रिपोर्टों में इस घटना में कम संख्या की मौतों का जिक्र है। उदाहरण स्वरूप, Dawn अखबार ने लिखा है कि मुरीदके ऑपरेशन के दौरान तीन TLP वर्कर मारे गए तथा एक SHO (पुलिस स्टेशन अधिकारी) भी शहीद हुआ। Dawn
पुलिस का बयान है कि प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाज़ी, पेट्रोल बомб और हथियारों का उपयोग किया। उन्होंने दावा किया कि सुरक्षा बलों को उन पर सीमित कार्रवाई करनी पड़ी। Dawn
कुछ अन्य रिपोर्ट्स में कहा गया है कि चार लोग मारे गए और 56 घायल हुए। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कई वाहन आग के हवाले कर दिए गए। The Express Tribune
TLP के नेता साद हुसैन रिज़वी और सरकार के बीच बातचीत हो रही थी, लेकिन सूचनाओं के अनुसार वे असफल रही। रात लगभग 11 बजे साद रिज़वी ने घोषणा की कि वे सरकार की मांगों पर ध्यान नहीं देंगे और मार्च जारी रखेंगे।
यह घटना न सिर्फ पाकिस्तान के अंदर राजनीतिक तनाव को बढ़ाती है, बल्कि मानवाधिकारों और कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है।
