रोबोटिक सर्जरी ने चिकित्सा जगत में एक नई क्रांति ला दी है — न थकने वाली मशीन, शून्य त्रुटि और बेहद तेज़ रिकवरी।
हिमाचल प्रदेश इंडियन आर्थोपेडिक एसोसिएशन (HPIOA) के महासचिव और वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. रितेश सोनी ने बताया कि इस तकनीक के आने से न केवल मरीजों को बल्कि डॉक्टरों और ओटी स्टाफ को भी बड़ी राहत मिली है।
उन्होंने कहा —
“रोबोटिक सर्जरी भविष्य नहीं, बल्कि वर्तमान है। यह तकनीक अब हिमाचल के अस्पतालों में भी सफलतापूर्वक लागू की जा चुकी है।”
⚕️ क्या है रोबोटिक सर्जरी और इसके फायदे?
रोबोटिक सर्जरी में डॉक्टर मशीन के जरिए सर्जरी को नियंत्रित करते हैं।
यह मशीन थकती नहीं, कांपती नहीं और इंसानी त्रुटियों की संभावना लगभग खत्म कर देती है।
इस तकनीक से सर्जरी 3डी इमेजिंग पर आधारित होती है, जिसमें
-
घुटने या कूल्हे का वर्चुअल मॉडल बनाया जाता है,
-
उसी मॉडल के आधार पर सटीक कटिंग और फिटिंग की जाती है।
डॉ. रितेश सोनी के अनुसार,
“इस सर्जरी में खून का बहाव बेहद कम होता है, दर्द लगभग न के बराबर रहता है और मरीज 24 घंटे के भीतर चलने-फिरने लगता है।”
🩺 त्रुटि की संभावना लगभग शून्य
डॉ. सोनी का कहना है कि रोबोटिक सर्जरी में सटीकता इतनी अधिक होती है कि
सक्सेस रेट 90 से 95 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
जहां पारंपरिक सर्जरी में डॉक्टरों के थकान या कांपने से त्रुटि की संभावना रहती थी, वहीं अब रोबोटिक सर्जरी में यह खतरा नहीं है।
🧬 बिना रेडिएशन के ब्रेन और स्पाइन सर्जरी
पारंपरिक सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले C-Arm X-ray रेडिएशन से डॉक्टरों और ओटी स्टाफ को
कैंसर या हड्डियों की कमजोरी (Osteoporosis) का खतरा रहता था।
लेकिन अब रोबोटिक सर्जरी में बिना रेडिएशन के नेविगेशन सिस्टम की मदद से
ब्रेन और स्पाइन सर्जरी 99.5% सटीकता के साथ की जा रही है।
डॉ. सोनी के अनुसार,
“अब डॉक्टर बिना रेडिएशन के भी जटिल सर्जरी करने में सक्षम हैं। यह तकनीक न केवल सुरक्षित है बल्कि बेहद प्रभावशाली भी साबित हुई है।”