ज्योतिष शास्त्र में पंचक को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह वह समय होता है जब चंद्रमा पाँच विशेष नक्षत्रों — धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वभाद्रपदा, उत्तरभाद्रपदा और रेवती — से होकर गुजरता है।
इन्हीं पाँच नक्षत्रों के कारण इस अवधि को ‘पंचक काल’ कहा जाता है। यह समय लगभग पाँच दिनों तक रहता है और इसे अशुभ काल माना जाता है।
🌙 पंचक में क्यों नहीं किए जाते शुभ कार्य?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचक के दौरान शुभ कार्यों जैसे घर बनाना, नई यात्रा शुरू करना, नया सामान खरीदना या धार्मिक आयोजन करना वर्जित माना गया है।
इस समय चंद्रमा का प्रभाव कुंभ और मीन राशियों से होकर गुजरता है, जिससे कई नक्षत्र अशुभ परिणाम देते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि इस अवधि में किए गए कार्य रुकावट, आर्थिक नुकसान या मानसिक तनाव का कारण बन सकते हैं।
🪔 पंचक कब बनता है?
जब चंद्रमा क्रमशः धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वभाद्रपदा, उत्तरभाद्रपदा और रेवती नक्षत्रों से होकर गुजरता है, तब पंचक बनता है।
इसी कारण इसे ‘पाँच नक्षत्रों का काल’ कहा जाता है। यह अवधि लगभग 5 दिन तक रहती है और माना जाता है कि इस दौरान शुभ कार्यों से परहेज करना चाहिए।
🔥 पंचक की पाँच प्रकार की अवस्थाएँ:
ज्योतिष विद्या में पंचक को पाँच प्रकारों में बाँटा गया है, जिनका अलग-अलग प्रभाव होता है —
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रोग पंचक (रविवार): स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ और बीमारियाँ बढ़ सकती हैं।
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नृप पंचक (सोमवार): सरकारी कार्यों के लिए शुभ, लेकिन निजी कार्यों में रुकावटें आती हैं।
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चोर पंचक (शुक्रवार): आर्थिक नुकसान या धन हानि का संकेत देता है।
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मृत पंचक (शनिवार): मानसिक तनाव, दुख और पारिवारिक परेशानियों का योग बनता है।
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अग्नि पंचक (मंगलवार): आग, दुर्घटना या निर्माण कार्यों में बाधा का कारण बन सकता है।
🧘♀️ पंचक में क्या करना चाहिए और क्या नहीं?
क्या करें:
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भगवान शिव या हनुमान जी की आराधना करें।
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दान-पुण्य और गरीबों की सेवा करें।
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ध्यान और साधना का अभ्यास करें।
क्या न करें:
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नया घर शुरू करना या खरीदना।
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नए व्यापार की शुरुआत।
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लंबी यात्रा या घर निर्माण से जुड़ा कोई कार्य।
