हरियाणा की होडल विधानसभा सीट को लेकर राजनीतिक घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है।
कांग्रेस नेता और हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने चुनाव परिणामों को लेकर EVM (Electronic Voting Machine) और VVPAT मशीनों की जांच हाईकोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की है।
चौधरी उदयभान ने अपनी चुनाव याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत से आग्रह किया कि
“चुनाव में इस्तेमाल की गई बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट मशीनों की मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर की जांच अदालत के रजिस्ट्रार की देखरेख में कराई जाए।”
⚖️ कोर्ट में पेश हुई दलीलें
सुनवाई के दौरान याची पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील मोहन जैन (पूर्व एडवोकेट जनरल, हरियाणा और भारत सरकार के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल) ने अदालत को बताया कि
जांच की प्रक्रिया के लिए ₹2.36 लाख की राशि पहले ही जमा करवाई जा चुकी है।
उन्होंने अदालत को यह भी याद दिलाया कि
जनप्रतिनिधित्व कानून और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी चुनाव याचिका का निपटारा छह माह के भीतर किया जाना आवश्यक है।
🗳️ सत्ता पक्ष पर दबाव का आरोप
मोहन जैन ने अपनी दलील में कहा कि
“जिला चुनाव अधिकारी पर सत्ताधारी दल का दबाव पड़ सकता है, इसलिए जांच स्वतंत्र और निष्पक्ष होनी चाहिए।”
उन्होंने सुझाव दिया कि अदालत के रजिस्ट्रार की निगरानी में मशीनों की जांच कराई जाए, ताकि पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।
🧾 सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उदाहरण
वकील ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का हवाला देते हुए कहा कि
हरियाणा के पानीपत जिले में एक सरपंच चुनाव को अदालत में चुनौती दी गई थी।
उस मामले में अदालत की निगरानी में पुनर्गणना कराई गई थी, जिससे परिणाम पूरी तरह बदल गए थे।
इसी आधार पर उन्होंने मांग की कि अदालत परिसर में कुछ मशीनों पर ट्रायल वोटिंग की जाए, ताकि यह देखा जा सके कि वोट वास्तव में किस उम्मीदवार के पक्ष में दर्ज होता है।
📜 अदालत की कार्रवाई और चुनाव आयोग को नोटिस
हाईकोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग को पक्षकार बनाए जाने की अर्जी पर नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।
हालांकि, अब तक प्रतिवादी पक्ष की ओर से कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है।
अब अदालत अगली सुनवाई में तय करेगी कि EVM और VVPAT मशीनों की जांच किस प्रक्रिया के तहत और किसकी निगरानी में कराई जाएगी।
