गुरुग्राम: तीन दिनों तक हवा की गुणवत्ता मध्यम रहने के बाद अब एक बार फिर गुरुग्राम की हवा प्रदूषण के दायरे में लौट आई है। मौसम में बदलाव और स्थानीय प्रदूषण के बढ़ते स्तर के बीच गुरुवार को शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया।
परेशानी की बात यह है कि जब प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, उसी समय हरियाणा के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (Monitoring Stations) ठप पड़ी हुई है।
गुरुवार को राज्य के 32 निरंतर वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों में से 12 ने कोई डेटा रिकॉर्ड नहीं किया। इनमें फरीदाबाद के तीन, गुरुग्राम के दो (टेरी ग्राम और सेक्टर 51) और अंबाला, फतेहाबाद, हिसार, करनाल, नूंह, पलवल व सिरसा के एक-एक स्टेशन शामिल हैं।
यह स्थिति तब सामने आई जब एक दिन पहले ही हरियाणा सरकार ने दावा किया था कि सभी एयर मॉनिटरिंग सिस्टम को बहाल कर दिया गया है। हालांकि, आंकड़ों ने सरकार के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बुधवार को भी राज्य के 32 में से 20 मॉनिटरिंग स्टेशन काम नहीं कर रहे थे, जिनमें गुरुग्राम के तीन स्टेशन शामिल थे। इसके चलते न केवल वायु गुणवत्ता के सटीक आंकड़े सामने नहीं आ पा रहे, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण की रणनीति पर भी असर पड़ रहा है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे समय में जब सर्दी की शुरुआत के साथ हवा का प्रवाह धीमा हो जाता है और धूल-धुएं के कण जमीन के पास ठहर जाते हैं, तब मॉनिटरिंग सिस्टम का लगातार चालू रहना बेहद ज़रूरी है। इससे प्रदूषण के स्रोतों की पहचान कर समय रहते कार्रवाई की जा सकती है।
स्थानीय निवासियों ने भी चिंता जताई है कि अगर निगरानी सिस्टम ही बंद रहेंगे, तो प्रशासन को यह कैसे पता चलेगा कि कौन-से क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
इस बीच, मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि आने वाले कुछ दिनों में तापमान में गिरावट और हवा की गति में कमी के कारण वायु गुणवत्ता और खराब हो सकती है।
💬 निष्कर्ष:
हरियाणा के कई शहरों में प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में सरकारी प्रयास तब तक प्रभावी नहीं हो पाएंगे जब तक निगरानी प्रणाली पूरी तरह सक्रिय नहीं होती। गुरुग्राम जैसे विकसित शहर में वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग का ठप होना एक गंभीर चिंता का विषय है, जिस पर तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।
