हिमाचल सरकार का बड़ा फैसला — अब ऑनलाइन जमाबंदी होगी डिजिटल साइन और क्यूआर कोड सहित
हिमाचल प्रदेश सरकार ने आम जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन जमाबंदी प्रणाली में डिजिटल हस्ताक्षर (Digital Signature) और क्यूआर कोड (QR Code) को शामिल करने का निर्णय लिया है।
इससे अब लोगों को पटवार सर्किलों के चक्कर लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और वे घर बैठे अपनी जमीन की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
📢 अधिसूचना जारी, जनता से मांगे गए सुझाव
राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पंत ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है।
सरकार ने इस नई प्रणाली को लेकर जनता से एक सप्ताह के भीतर सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं। इसके बाद प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा।
💻 पहले बिना हस्ताक्षर के होती थी ऑनलाइन जमाबंदी
अब तक हिमाचल प्रदेश में ऑनलाइन जमाबंदी की सुविधा उपलब्ध थी, लेकिन उसमें पटवारी के डिजिटल हस्ताक्षर शामिल नहीं होते थे।
इस वजह से लोगों को दस्तावेजों की आधिकारिक पुष्टि के लिए पटवार सर्किल जाना पड़ता था।
अब सरकार ने डिजिटल साइन और क्यूआर कोड जोड़कर इस प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन और प्रमाणिक बना दिया है।
🔍 क्यूआर कोड से तुरंत मिलेगी जमीन की जानकारी
नई प्रणाली में हर जमाबंदी पर एक यूनिक क्यूआर कोड दिया जाएगा।
कोई भी व्यक्ति इस क्यूआर कोड को अपने मोबाइल से स्कैन करके जमीन से जुड़ी पूरी जानकारी जैसे —
-
खसरा नंबर
-
जमीन का क्षेत्रफल
-
मालिक का नाम
-
ताज़ा रिकॉर्ड स्थिति
आसानी से देख सकेगा।
यह कदम न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगा, बल्कि जमीन संबंधी धोखाधड़ी और विवादों को भी कम करेगा।
🌐 डिजिटल इंडिया की दिशा में अहम कदम
राज्य सरकार का यह निर्णय डिजिटल इंडिया मिशन की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
ऑनलाइन जमाबंदी प्रक्रिया के डिजिटलीकरण से प्रशासनिक कामकाज में पारदर्शिता आएगी और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को सरकारी सेवाओं तक आसान पहुंच मिलेगी।
✅ जनता के लिए फायदे
-
समय की बचत: अब पटवारी या तहसील कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
-
सटीक जानकारी: क्यूआर कोड स्कैन कर तुरंत अपडेटेड डेटा मिलेगा।
-
भ्रष्टाचार में कमी: डिजिटल हस्ताक्षर से फर्जीवाड़ा रुक सकेगा।
-
पारदर्शी प्रक्रिया: सभी दस्तावेज ऑनलाइन सत्यापित होंगे।
🗣️ सरकार की मंशा
राजस्व विभाग का कहना है कि यह बदलाव ई-गवर्नेंस को मजबूत करने और नागरिकों को घर-द्वार पर सरकारी सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में किया गया है।
यह पहल भविष्य में भू-अभिलेख प्रबंधन (Land Record Management) को और अधिक सुरक्षित और भरोसेमंद बनाएगी।
