फोरलेन का अधूरा सफर
किरतपुर-मनाली फोरलेन परियोजना नौ साल बाद भी अधूरी पड़ी है। घटिया निर्माण सामग्री और अवैज्ञानिक कार्यप्रणाली के कारण यह सडक़ हर बरसात में टूट-फूट जाती है। हालात इतने खराब हैं कि जहां एक ओर निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है, वहीं पीछे सडक़ें मिट रही हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि फोरलेन कंपनियों ने पुराने राष्ट्रीय उच्च मार्ग को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। मंडी से औट तक का निर्माण 2017 से जारी है, लेकिन आठ वर्ष बाद भी यह कार्य अधूरा है।
🏗️ ढहते डंगे और टूटते फ्लाईओवर
पंडोह के कैंची मोड़ से लेकर डयोड टनल तक 1.5 किलोमीटर लंबे मार्ग पर कई बड़े डंगे ढह चुके हैं। दवाड़ा फ्लाईओवर का टूटना इस परियोजना की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। इस वर्ष बरसात के दौरान सडक़ बंद रहने से किसानों और बागबानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
⚠️ खतरे में गांवों की ज़िंदगियां
डयोड टनल के निर्माण में लापरवाही के कारण आसपास के गांव — डयोड और हटौण — में भूस्खलन बढ़ गया है। कई घरों के नीचे की ज़मीन धंस रही है, जिससे ग्रामीणों का जीवन संकट में है।
गांववासियों ने सरकार और एनएचएआई से मांग की है कि उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वासित किया जाए और मुआवजा प्रदान किया जाए।
🛣️ पुराने एनएच की मरम्मत पर सवाल
फोरलेन निर्माण के दौरान पुराने एनएच की मरम्मत नहीं की गई। उस पर भारी मशीनरी चलने से डयोड से हणोगी तक कई हिस्से पूरी तरह गायब हो गए हैं। अब यह मार्ग कई जगहों पर वन-वे बन चुका है, जिससे लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
💧 जलस्रोत और पर्यावरण की हानि
फोरलेन कार्य के चलते चार मील, सात मील, नौ मील और डयोड जैसे प्राचीन जलस्रोत नष्ट हो गए। हजारों पेड़ काटे गए और मलबा पंडोह डैम में फेंका गया, जिससे उसकी जल संग्रहण क्षमता घट रही है। यह स्थिति स्थानीय पर्यावरण और ब्यास नदी के किनारे बसी बस्तियों के लिए गंभीर खतरा बन गई है।
🗣️ स्थानीय लोगों की आवाज़
डयोड के निवासी और सेवानिवृत्त कनिष्ठ अभियंता पी. आर. ने कहा कि “फोरलेन कंपनी की मनमानी और घटिया निर्माण लोगों की जान के लिए खतरा बन गया है।”
ग्राम पंचायत प्रधान रोशनी राठौर और पूर्व प्रधान दलीप ठाकुर ने चेतावनी दी कि यदि समय रहते गांव की सुरक्षा और मुआवजा सुनिश्चित नहीं किया गया, तो ग्रामीण फोरलेन निर्माण कार्य को रोक देंगे।
🔍 निष्कर्ष
किरतपुर-मनाली फोरलेन जैसे बड़े प्रोजेक्ट से विकास की उम्मीदें थीं, लेकिन अब यह स्थानीय जनता के लिए संकट का कारण बन गया है। सरकार और निर्माण एजेंसियों को चाहिए कि वे गुणवत्ता, सुरक्षा और पर्यावरण के प्रति जवाबदेही दिखाएं — वरना यह “विकास” नहीं, विनाश की राह बन जाएगा।
